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PV Narasimha Rao Birth Anniversary: नरसिंह राव आर्थिक सुधार के जनक के रूप में जानल जात रहले, जन्मदिन विशेष पे पढ़ी कुछ रोचक बात

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बता दीं कि पी.वी.नरसिंह राव भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिहले रहले आ 1930 के दशक के अंत में वंदे मातरम आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिहले रहले । 1962 से 1971 तक उ आंध्र प्रदेश के एगो मजबूत नेता के रूप में उभरले।

आज यानी 28 जून के देश के 9वां प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के जन्म भइल। राव के देश में आर्थिक सुधार के जनक के रूप में भी याद कइल जाला। राजनीति के अलावा संगीत, कला आ साहित्य आदि के क्षेत्र में भी उनकर रुचि आ समझ रहे। पी.वी.नरसिंह राव के कई भाषा के ज्ञान रहे। इहे कारण रहे कि आम बातचीत के दौरान ऊ बहुत भाषा के प्रयोग कइले। आईं पीवी नसिंहा राव के जयंती के मौका पs उनका जीवन से जुड़ल कुछ रोचक बात के बारे में…

जन्म 

पीवी नरसिंह राव के जनम 28 जून 1921 के हैदराबाद के करीम नगर गाँव में तेलुगु नियोगी ब्राह्मण परिवार में भइल रहे। कम उमिर में पामुलापार्थी रंगा राव आ रुक्मिनाम्मा गोद लिहलें। ऊ आपन शुरुआती पढ़ाई गाँव के स्कूल से पूरा कइलन आ ओकरा बाद पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से कानून में स्नातकोत्तर के डिग्री लिहलन । भारतीय भाषा के अलावा फ्रेंच आ स्पेनिश के भी ज्ञान रहे। ऊ एह भाषा के आसानी से बोल सकत रहले आ लिख सकत रहले ।

राजनीति 

बता दीं कि पी.वी.नरसिंह राव भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिहले रहले आ 1930 के दशक के अंत में वंदे मातरम आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिहले रहले । 1962 से 1971 तक उ आंध्र प्रदेश के एगो मजबूत नेता के रूप में उभरले। एकरा बाद 1971 से 1973 तक राव राज्य के मुख्यमंत्री रहले। उनका के शुरू से ही कांग्रेस पार्टी के समर्पित मानल जाला। बतावल जाता कि जब देश में इमरजेंसी लागल रहे तs राव तब के पीएम इंदिरा गांधी के बहुत समर्थन कइले रहले।

देश के पीएम

गांधी परिवार के अलावे राव के एकर श्रेय भी बा कि ऊ कांग्रेस के अकेला प्रधानमंत्री बाड़े, जवन कि लगातार पांच साल तक पीएम के पद पs रहल बाड़े। अपना कार्यकाल में राव कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पs रहले। जबकि सोनिया गांधी के पार्टी से किनारा कs दिहल गइल। ओह दौरान सोनिया आ राव के बीच दरार के खबर आम रहे। घाटा पैदा करे वाला सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के देखत राव के ओर से निजीकरण के रास्ता बाद में बेरोजगार युवा खाती जीवन रेखा साबित भइल।

राव जब देश के प्रधानमंत्री बनले तs तs बहुत ऐतिहासिक फैसला लेले। ताकि देश गरीबी से बाहर निकल सके। जब ऊ प्रधानमंत्री बनले तs ऊ समय रहे जब देश के अर्थव्यवस्था के बचावे खातीर देश के सोना के विदेश में गिरवी राखे के पड़े। एकरा बाद ऊ स्थानीय बाजार खोलले। एह फैसला के चलते राव के बहुत आलोचना भइल। बाकिर ई पी.वी.नरसिंह राव के दूरगामी सोच रहे जवना के चलते आज हमनी के शीर्ष देशन में शामिल बानी सs।

राजनीति से सेवानिवृत्ति

राष्ट्रीय राजनीति से सेवानिवृत्ति के बाद राव साहित्यिक गतिविधि में सक्रिय रहलें। उहाँ के आपन आत्मकथा ‘द इनसाइडर’ प्रकाशित कइनी जवना में उनकर राजनीतिक अनुभव के झलक मिलेला। हालांकि बाद के समय में पीवी नरसिंह राव के आर्थिक समस्या के सामना करे के पड़ल ।

मौत

बता दीं कि पीवी नरसिंह राव के निधन 23 दिसंबर 2004 के भइल रहे ।

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