Sawan 2023: बाबा विश्वनाथ से नाराज होके महर्षि वेदव्यास बसईले दूसरका काशी, इहां दर्शन से मिलेला पुण्य
महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास काशी के अलावा चंदौली के साहुपुरी में महादेव के अद्भुत शिवलिंग के स्थापना कईले रहले। साथही एह इलाका के अलग काशी घोषित कs दिहल गइल। काशी में रहला के दौरान उनका साथे कुछ अइसन भइल कि पूरा काशी के श्राप देले। बाद में भगवान गणेश के तपस्या से प्रसन्न होके उ शाप से मुक्त क दिहले। आईं पूरा कहानी जान लीं।
मानल जाला कि महाभारत युद्ध खतम भइला के बाद महर्षि वेदव्यास काशी घूमे आइल रहले। इहाँ उ बाबा विश्वनाथ के देखले। स्कन्द पुराण के काशी खंड में लिखल कहानी के मुताबिक महर्षि व्यास सुनले रहले कि काशी में केहु भूखे ना सुतेला। बाकिर दू-तीन दिन भूखे रहे के पड़ल।
एह से खिसिया के ऊ काशी शहर के श्राप दिहलन कि उनकर दर्शन-पूजा निष्फल साबित होई आ पांच मील के दूरी पs दोसर काशी के स्थापना करे के फैसला कइलन। जइसहीं एह बारे में जानकारी मिलल भोलेनाथ अपने माता अन्नपूर्णा के भेस बदल के व्यास जी के लगे भेजने। 56 प्रकार के प्रसाद लेके महर्षि वेदव्यास के लगे पहुंचली। बाकिर महर्षि उनका के चिन्ह गईन आ लवटा दिहलन।
मंदिर के महंत अशोक कुमार पांडेय के मुताबिक बाद में भगवान गणेश महर्षि वेदव्यास के लगे जाके क्रोध के शांत करे अवुरी काशी के शाप से मुक्त करे खातीर उपाय मंगले। एक दिन भगवान गणेश से प्रसन्न होके महर्षि वेदव्यास उनसे वरदान मांगे के कहले। फेर काशी के श्राप से मुक्त करावे खातिर वरदान मंगले।
एकरा बाद उ काशी के शाप से मुक्त क देले अवुरी महाभारत रचना लिखे खातीर भगवान गणेश के भी तैयार कईले। एकरा साथे इहो कहल गइल कि व्यास मंदिर के दर्शन कइले बिना काशी दर्शन के गुण ना मिली। तब से एह जगह पs खाना बना के व्यास मुनि के चढ़ावे के परंपरा चल रहल बा। सावन में भीड़ जमा हो जाला।
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