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अब पानी माथा सs ऊपर चल गईल बा…”कैदियन कs रिहाई पs SC लगइलस यूपी सरकार कs फटकार

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सीजेआई उत्तर प्रदेश सरकार के ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद से कहल कि हमनी के नईखी चाहत कि अधिकारी के कोर्ट में बोलावल जाए, लेकिन अब बहुत हो गईल बा, हमनी के रियायत ना बरतब।

दशकन से जेल में बंद कैदियन के रिहाई से जुड़ल एगो मामिला के सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार के डांट दिहलस। ए मामला के सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड आ जस्टिस पीएस नरसिंह के पीठ कहलस कि राज्य के आपन ‘हाउस’ व्यवस्थित करे के चाही। ना त हम डीजीपी के बुलवा देब। संगे पीठ कहलस कि अब पानी माथा से ऊपर चल गईल बा।

अयीसन कईल उचित नईखे
अवमानना ​​याचिका दायर भइला पे यूपी सरकार के ‘कार्रवाई’ में आवे के रवैया पे भी पीठ नाराजगी जतवलस। सुनवाई के दौरान सीजेआई कहलस कि हमनी के इ देखे के मिलता कि सरकार अवमानना ​​याचिका दायर कईला के बाद कार्रवाई में आवेले। ई कतहीं से निष्पक्ष नइखे।

यूपी सरकार आपन पक्ष रखलस
सीजेआई उत्तर प्रदेश सरकार के ओर से पेश होके अपर महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से कहले कि हम नईखी चाहत कि अधिकारी के कोर्ट में बोलावल जाए, काहेंकी उनुका लगे अउरी काम बा। इहे कारण बा कि हमनी के अफसरन के निजी उपस्थिति से छूट देत रहेनी जा। लेकिन अब बहुत हो गईल, अब रियायत ना देब। हमनी के व्यक्तिगत रूप से अधिकारियन के पेश करे खातिर मजबूर मत करीं। रउरा ‘घर’ ठीक क दीं, जवना ना भइला पे हमनी के महानिदेशक के बोलावब जा।

सुनवाई के दौरान वर्तमान मामला के संबंध में एएजी गरिमा प्रसाद पीठ के बतवले कि आवेदन पे विचार भईल बा।एमिकस क्यूरी ऋषि मल्होत्रा ​​बतवले कि अवुरी अवमानना ​​याचिका के प्रति सरकार के दिहल गईल बा, हालांकि प्रसाद कहले कि उ याचिका में नईखे दिहल गईल मिल गइल बा। जवना पे पीठ अगिला सप्ताह खातीर सुनवाई स्थगित क देलस, जबकि याचिका के प्रति सरकार के देवे के निर्देश दिहलस।

साभार- Ndtv इंडिया

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