100 साल पुरान दुर्लभ त्रिलोक बेर के पेड़ अभी भी फल दे रहल बा, एकर एगो अनोखा इतिहास बा
वर्तमान में भारत में बेर के 125 किसिम बा। त्रिलोक बेर 100 साल पहिले जगदीशपुर (इस्लामनगर) के एगो मंदिर में मौजूद बा। ई पेड़ पहिले प्राकृतिक रूप से पनपत रहे। मंदिर परिसर में पेड़-पौधा के मौजूदगी के चलते पास के गांव के लोग भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश (त्रिदेव) के नाम पे एकर नाम रखले।
100 साल पुरान दुर्लभ त्रिलोक बेर के पेड़ अभी भी फल दे रहल बा, एकर एगो अनोखा इतिहास बा
वर्तमान में भारत में बेर के 125 किसिम बा। त्रिलोक बेर 100 साल पहिले जगदीशपुर (इस्लामनगर) के एगो मंदिर में मौजूद बा। ई पेड़ पहिले प्राकृतिक रूप से पनपत रहे। मंदिर परिसर में पेड़-पौधा के मौजूदगी के चलते पास के गांव के लोग भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश (त्रिदेव) के नाम पे एकर नाम रखले।
मध्य प्रदेश के भोपाल में अइसन पेड़ बा जवन 100 साल पुरान बा। सबसे जरूरी बात इ बा कि इ पेड़ बेर के ह, जवन कि अभी तक फल दे रहल बा। जनता के ई चौंकावे वाला लागत बा बाकिर ई साँच बा। मध्य प्रदेश के भोपाल के इंटखेडी में स्थित फल अनुसंधान केंद्र में त्रिलोक बेर नाम के एगो पेड़ बा, जवन कि 100 साल पुरान बा। त्रिलोक बेर एगो दुर्लभ प्रजाति के पेड़ ह, एकर रक्षा हो रहल बा। अगर देखल जाव त पूरा देश में त्रिलोक बेर के भारी मांग बा। लोग एह पेड़ आ एकर फल के मांग कर रहल बा।
त्रिलोक बेर 100 साल पहिले जगदीशपुर (इस्लामनगर) के एगो मंदिर में मौजूद रहले। ई पेड़ पहिले प्राकृतिक रूप से पनपत रहले। मंदिर परिसर में पेड़-पौधा के मौजूदगी के चलते पास के गांव के लोग भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश (त्रिदेव) के नाम प एकर नाम रखले। गाँव के लोग के मानना बा कि ई प्रसाद हउवें।
वैज्ञानिक एच.आई.सागर त्रिलोक के पेड़ के बारे में कहले कि, ‘भोपाल के जलवायु के चलते इ पेड़ इहाँ मिलेला। हालांकि लगातार पेड़ काटला के चलते संख्या घटत जाता। एह फल के खासियत ई बा कि ई बाकी फलन से ढेर पाकल होला। इ फल सामान्य तापमान में भी 12 दिन तक रह सकता। एह फल में सुगंध होला। लोग के ई बहुत पसंद आवेला।
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