निर्मल पाठक के घर वापसी: एगो रिव्यू पुंज प्रकाश जी के नजर से
निर्मल पाठक के घर वापसी एगो शानदार सिरीज़ बा। जदि एमे दिखावल गइल कवनो घटना से बिहार बदनाम होत बा तs इहो बिहारे के कठोर सच्चाई हs। बिहार में बहुत कुछ बेहतर बा बाकिर उहो सब बा जवना के जिकिर एह सिरीज़ में बा। ट्रेन में चोरी बा, धरम, धन, जाति आधारित राजनीति बा, छुआछूत बा, परिवार के नाम पर महिला लो के भयंकर शोषण बा। लड़कियन के बिना मरजी जाने बिना बियाह बा, दहेज बा, प्रगतिशीलता के विरोध बा, चौपट सरकारी शिक्षा व्यवस्था बा, सामंती व्यवस्था में नाक तक डूबल समाज बा, बियाह में गोली आ बाईजी के नाच बा, अश्लीलता बा, खंडहर बनल सड़क बा। जाति आधारित शोषण बा, पुरुषवादी मानसिकता से सराबोर समाज बा, गरीबी बा, मर्डर बा, किडनैपिंग बा माने उ सब बा जेकर बात ई सिरीज़ करत बिया। आंख मूंद लेवे से सच्चाई ना बदल जाला। एकरा बनानेवाला देखल आ भोगल कटु यथार्थ बनवले बा। एह सीरीज में देखावल कटु – सत्य के अस्वीकार करे के अर्थ बा सत्य से मूंह मोड़नल आ जे सत्य से मूंह मोड़ लेवे ऊ कबो विकासवादी नइखे हो सकत बलुक ऊ यथास्थिवादे के अगुआ हs।
नोट: पुंज प्रकाश जी के हिंदी में लिखल एह रिव्यू के भोजपुरी में अनुवाद कइल गइल बा।
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