मनहरण घनाक्षरी (कविता)- गणेश नाथ तिवारी विनायक जी के कलम से

Anurag Ranjan

मनहरण घनाक्षरी

फगुनी बयार झरे ,लोगवा गुहार करे।
धनि मनुहार करे,बाति मोरा मान ली।।
बानीं परदेस रवा,चलि आई देस रवा।
तनिको ना देर करी,मनवा में ठान ली।।
नयना में लोर बाटे,मनवा त थोर बाटे।।
फगुआ में चलि आई,बाति रवा जान ली।।
पिया जी के नेह लेले,फगुआ में मेंह चले।
चली ना बहाना कुछ,गांठ रवा बान्हि ली।।1

तड़पेला मन मोरा,साजन फगुनवा में।
हिचकेला हिंक भरि,मन परेशान बा।
उचरेला कागा रोज,हमरी अँगनवा में।
अइहें कब पियाजी,साँसत में जान बा।।
राति-राति, भर दिन ,देखेनी सपनवा में।
बसल कण-कण में,तोहरे परान बा।।
भोरे भोर देखनी जो,सोझा सजनवा के।
तन बौराइल अरु, मनवा हरान बा।।2

बहेला जो पुरवाई,तन लेला अंगड़ाई,
बोली सुनि मोरिनी के,मनवा लजात बा।
बरसे बदरिया त,छापेला अन्हरिया जे,
कड़के बिजुरिया त,मनवा डेरात बा।
नींन नाही आवे पिया,मोहे तड़पावे जिया।
पिया बिन सेज सखी ,तनि ना सोहात बा।।
करी इंतजार सखी,आइल बहार सखी।
पिया बिन बात अब ,कुछ ना कहात बा।।3

गणेश नाथ तिवारी”विनायक” जी के परिचे

गणेश नाथ तिवारी ‘विनायक’ पेशा से इंजिनियर बाकिर भोजपुरी साहित्य से लगाव के कारन इहाँ के भोजपुरी में गीत कविता कहानी लिखत रहेनीं| भोजपुरी भासा से गहिराह लगाव राखे आला एगो अइसन मनई जेकर कलम नवहा सोच के बढिया सबदन में सजावेला| इहाँ के कइ गो कविता ‘आखर ई पत्रिका’, ‘सिरिजन तिमाही पत्रिका’ आदि में छपात रहेला| ‘जय भोजपुरी जय भोजपुरिया’ के संस्थापक सदस्यन में से एगो गणेश जी भोजपुरी खातिर बेहतरीन काम कs रहल बानीं|

Share This Article
Content Creator
Follow:
सिविल इंजीनियर, भोजपुरिया, लेखक, ब्लॉगर आ कमेंटेटर। खेल के दुनिया से खास लगाव। परिचे- एगो निठाह समर्पित भोजपुरिया, जवन भोजपुरी के विकास ला लगातार प्रयासरत बा। खबर भोजपुरी के एह पोर्टल पs हमार कुछ खास लेख आ रचना रउआ सभे के पढ़े के मिली। रउआ सभे हमरा के आपन सुझाव [email protected] पs मेल करीं।