Gorakhpur Literary Festival: 21 आ 22 दिसंबर के गोरक्षनगरी में देस के जानल-मानल साहित्यकार आ कलाकार, अलग-अलग विषयन पs होई परिचर्चा

Anurag Ranjan
Gorakhpur Literary Festival में जुटी लो नामी-गिरामी साहित्यकार

गोरखपुर : गुरु गोरक्षनाथ केधरती पs 21 आ 22 दिसंबर के आयोजित होखे वाला गोरखपुर लिटररी फेस्टिवल के तइयारी जोरन पs बा। दू दिन के एह साहित्यिक आ सांस्कृतिक आयोजन में दिग्गज साहित्यकार, फ़िल्मी दुनिया के चर्चित हस्ती, राजनीति के उभरत चेहरन के संगे-संगे मीडिया जगत के नामी-गिरामी एंकरन से अलग-अलग विषयन पs सार्थक चर्चा-परिचर्चा आयोजित होई। एकरा संगही गीत-संगीत, कविता, नाटक आ कत्थक नृत्य के तड़को लागी। अलग-अलग क्षेत्रन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करे वालन के स्वर्गीय पीके लाहिड़ी स्मृति सम्मान से सम्मानित कइल जाई। उद्घाटन सत्र में पदमश्री प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, असगर वजाहत, डॉ. सूर्यबाला आ शिवमूर्ति के गरिमामयी उपस्तिथि रही।

आठ सत्रन से सजल रही पहिला दिन

गोरखपुर लिटररी फेस्टिवल के पहिला दिन साहित्यप्रेमियन के संगे-संगे फिल्म, धर्म, महिला राजनीति, मीडिया में रूचि रखे वालन के अलावे कविता के चहेतन आ नाट्य प्रेमियन खातिर बहुते खास रही। उद्घाटन सत्र “शब्दों की सत्ता” में गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष आ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष रह चुकल पद्मश्री प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, प्रसिद्ध कहानीकार आ नाटकार असगर वजाहत, हिंदी के अग्रणी उपन्यासकारन आ साहित्यकारन में शुमार डॉ. सूर्यबाला के संगे वरिष्ठ उपन्यासकार शिवमूर्ति अपना सारगर्भित वक्तव्य से साहित्य प्रेमियन के ज्ञानवर्धन करिहें। ई सत्र सबेरे 10:30 बजे से दुपहरिया 12:00 बजे तक चली। 12:15 से 01:15 तक दुसरका सत्र “डायरी के पन्नों से डिजिटल प्लेटफार्म तक” में मनीषा कुलश्रेष्ठ, प्रभात रंजन आ देवंद्र आर्य के बीच परिचर्चा होई। दुपहरिया 01:30 से 2:30 बजे तक तीसरका सत्र “गुफ्तगू” में प्रसिद्ध निर्देशक आ निर्माता सुभाष घई से बातचीत आ सवाल-जवाब के दौर चली। 02:45 से 03:45 तक “धर्म, सत्ता और समाज” विषयक चउथा सत्र में दर्शकन के डॉ. उमेर अहमद इलियासी आ स्वामी दीपांकर के विचार सुने के मिली।

Gorakhpur Literary Festival के 21-22 दिसंबर के होई आयोजन
Gorakhpur Literary Festival के 21-22 दिसंबर के होई आयोजन

हिंदी कवितन के होई संगीतमय प्रस्तुति

पहिला दिन के पांचवां सत्र महिला राजनीति आधारित होई। एमे नेत्री शाम्भवी चौधरी, अपर्णा यादव आ डॉ. रागिनी सोनकर “नए मोड़-नए मुकाम” विषय पs अपना सारगर्भित वक्तव्य आ लोगन के सवालन के जवाब देके राजनीति के कइयन गो पहलुअन से परदा उठइहें। छठवां सत्र बहुते रोचक होई। एमे मीडिया जगह के नामचीन हस्तियन में सुमार संदीप चौधरी, सौरभ शर्मा आ राशिद किदवई “साख पर सवाल” विषय पs आपन पक्ष रखी लो। सांझ के 05:15 से 06:15 तक एह सत्र में दर्शक मीडिया के साख से जुड़ल अपना सवालन के जवाब पा सकी लो। 06:30 से 07:15 तक आदित्य राजन आ समूह के ओर से हिंदी कवितन के संगीतमय प्रस्तुति होई। दिन के आखरी सत्र में सांझ 07:15 से 09:00 बजे तक नौटंकी शैली में हरिश्चंद-तारामती नामक नाट्य के प्रस्तुति होई।

Gorakhpur Literary Festival

Gorakhpur Literary Festival: दुसरको दिन होई कइयन सत्रन के आयोजन

दुसरका दिन के आगाज 10:45 से 11:45 तक “नए पत्ते, नई खुशबू” नाम के सत्र में महीप श्रीवास्तव, नेहा मिश्रा, अनुराग यादव आनित्या त्रिपाठी कविता पेश करी लो। 12:00 से 01:00 के बीच दुसरका सत्र में “सृजन के संशय” विषय पs प्रियंका ओम, यतीश कुमार, विनीता अस्थाना, अर्पण कुमार से सार्थक बातचीत होई। तीसरका सत्र में 01:15 से 02:15 तक रेहान फजल आ राजीव रंजन “मीडिया भरोषा कैसे बनता है” विषयक परिचर्चा में मंच के गरिमा बढ़ाई लो। 02:30 से 03:45 तक चउथा सत्र में अभिनेता मकरंद देशपांडे से गुफ्तगू होई। पांचवां सत्र में 04:00 से 5:00 बजे तक गोरखपुर के चमकत सितारा शगुन, आयुष रतन, अमित मौर्या आ अवधेश सिंह से बतकही होई। सांझ 05:15 से 06:30 तक स्वर्गीय पीके लाहिड़ी स्मृति सम्मान वितरित कइल जाई। दुसरका दिन के आखिरी सत्र में शास्त्रीय संगीत आ कथक नृत्य प्रस्तुत होई। एह दौरान पं. हरीश तिवारी आ दीपमाला सचान आपन मनमोहक प्रस्तुति से एह दू दिवसीय आयोजन के समापन करी लो।

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सिविल इंजीनियर, भोजपुरिया, लेखक, ब्लॉगर आ कमेंटेटर। खेल के दुनिया से खास लगाव। परिचे- एगो निठाह समर्पित भोजपुरिया, जवन भोजपुरी के विकास ला लगातार प्रयासरत बा। खबर भोजपुरी के एह पोर्टल पs हमार कुछ खास लेख आ रचना रउआ सभे के पढ़े के मिली। रउआ सभे हमरा के आपन सुझाव [email protected] पs मेल करीं।
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