राम बियाह के गीत- कुमार आशु के कलम से

Share

“ए बबुआ, अब रउरे अगोरा बा..!
अब जनि देर करीं अइले में धरि धरि गोड़ निहोरा बा..!!

सांवर गोरहर दुलहा देखिके सुध बुध सगरि भुलाइल हो,
बाबा के सौ बार नमन जेसे ई शुभ दिन आइल हो,
फिरु कब दरश होइ रघुवर के मन में इहे मोरा बा..!!
ए बबुआ, अब रउरे अगोरा बा..!

साली सरहज के छेडले पर बस तनिका मुस्कानी जी,
बढ़ि चढ़ि के छोटकू बोलनी, बड़कू बहुत लजानी जी
अइसे बनत बानी जइसे मन अबहिन लरिकोरा बा..!!
ए बबुआ, अब रउरे अगोरा बा..!

जुग जुग जइसन बीतत बाटे एकहक छन रघुराई जी,
अब जनि लेइ परीक्षा हिय के, अब जनि और सताई जी,
चलि आईं न वैदेही के अब सेरात सिन्होरा बा..!!
ए बबुआ, अब रउरे अगोरा बा..!

कुमार आशु- (रचनाकार)

 

कुमार आशू ओ कवियन में बानें जेकरे गीत, नजम, अउर ग़जल में सुने आला लोग आपन दूख देख पावsला अउर ओके महसूसो करsला। जमीनी प्यार के रूमानी ले चहुँपवले में दूनो छोर पs एक जइसन पकड़ के चलते ही ई लोग में पसन्न कइल जानें।
खड्डा कस्बा के एगो छोटहन गाँव में आजु के एकइस बरिस पहिले पैदा होखे आला कुमार आशू ए समय में गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम ए में गोल्ड मेडलिस्ट भी बानें। बी ए से कविता लिखले के रचना परक्रिया के ‘आशुतोष’ से ‘कुमार आशू’ ले के सफर बड़ी मजदार रहल बा। कुमार आशू भोजपुरिआ माटी के कवि के संहे हिन्दियो में कविता लिखेने। एनकर ‘दोहद’ नाव के किताबो आ गइल बा। संहे-संहे एनकर कविता तमावन हिंदी भोजपुरी पत्र पत्रिका में छपs ला।

Share this article

Facebook
Twitter X
WhatsApp
Telegram
 
- Sponsored Ads-