सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ उषा किरण खान के देहांत हो गइल बा। उऽ पिछला कुछ दिननऽ से बीमार रहली। अस्पताल में उऽ अंतिम सांस लेली। उनकरा निधन के खबर से मिथिलांचल समेत समूचा बिहार में शोक के लहर आ गइल बा।
पद्मश्री से सम्मानित हिंदी आ मैथिली साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ उषा किरण खान के निधन हो गईल बा। उऽ पिछला कुछ दिन से बीमार रहली। अस्पताल में उहाँ के अंतिम सांस लेनी। उनके निधन के खबर से मिथिलांचल समेत समूचा बिहार में शोक के लहर आ गइल बा। उनकरा के उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के सर्वोच्च साहित्य सम्मान भारत-भारती से नवाजल गइलऽ रहे
साहित्य अकादमी पुरस्कार से नावजल गइलऽ रहे
बता दी कि डॉ खान हिंदी के संगे – संगे मैथिली में भी दर्जनन उपन्यास भ कहानि लिखले रही। एकरा अलावा उऽ बाल साहित्य आ नाटक लेखन खातिर भी जानलऽ जात रहली। मैथिली में लेखन खातिर डॉ खान के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजल गइलऽ रहे। उषा किरण खान दरभंगा जिले से ताल्लुक रखत रहि। पटना कॉलेज में प्राचीन भारतीय इतिहास आ पुरातत्व विज्ञान के विभागाध्यक्ष रह चुकल बाड़ी। उनकर अबले पचास गो से बेसि किताब प्रकाशित हो चुक बा, जेकरा मे उपन्यास, कहानी, नाटक आ बाल-साहित्य जइसन विविध विधाएँ सम्मिलित बा। भामती, सृजनहार, हसीना मंज़िल, घर से घर तक उनकर प्रमुख कृतियाँ बाड़ी सन ।