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जन-जन ले पहुंची अमरगढ़ के स्वर्णिम इतिहास, इहाँ बा सेनानियन के विजय चिन्ह

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अब अमरगढ़ बलिदान के स्वर्णिम इतिहास के जन-जन ले पहुंचावे के तैयारी पूरा हो गइल बा। इतिहासकारन के अनुसार अमरगढ़ में अंग्रेज अफसर के कब्र एगो बड़ घटना के प्रमाण ह कि स्वतंत्रता संग्राम के लड़ाई अमरगढ़ में लड़ल गइल रहे। एके गजेटियर में लिपिबद्ध कइल गइल बा, लेकिन जौने संग्राम में सैकड़ो लोग बलिदान दिहल, ओ घटना के इतिहास के पन्ना में उचित स्थान नाइ मिल पवले बा।

डुमरियागंज कस्बा के लग्गे राप्ती नदी के किनारे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 26 नवंबर 1858 के अमरगढ़ में सेनानी लोग अंग्रेज अफसर के मौत के घाट उतार दिहले रहे। कैलीफोर्निया के गजेटियर के प्रमाण के अनुसार 80 लोग अंग्रेजन के गोली शहीद हो गइलें। ओकरे बाद लोग नदी में कूद गइल रहे अउर नदी में जब ले मूड़ी लउकल, तब ले गोली मारल गइल।

गजेटियर से एह बलिदान के अनुमान आसानी से लगावल जा सकsता। ओ दौर में जेकरे घर के लोग शहीद होत रहे, ओकरे बारे में परिवार के लोग केहू दूसरे के नाइ बतावत रहे ताकि उनकर ई बात अंग्रेजन ले न पहुंच जाय।

भारतीय इतिहास संकलन समिति, गोरक्ष प्रांत के संगठन मंत्री अउर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद चौबे बतवलें कि स्वतंत्रता संग्राम में अमरगढ़ के बलिदान बहुत महत्वपूर्ण बा। ओ दौर में अनेक घटना के इतिहास के पन्ना में जगह नाइ मिलल बा चाहे उचित स्थान नाइ मिलल। ओही घटना में से एक बा अमरगढ़ के बलिदान।

इतिहासकारन के दल अमरगढ़ के भ्रमण कइले बा। गजेटियर के साक्ष्य भी उपलब्ध हो गइल बा, ओ घटना के इतिहास के पन्ना में स्थापित कइल जाई। उहाँ बनल अंग्रेज अफसर के कब्र सेनानियन के विजय के प्रतीक बा।

अमरगढ़ में मेला के तैयारी

अमरगढ़ शहीद स्थल पर 26 नवंबर से तीन दिवसीय मेला शुरू होई। मेला में झूला लगावल जा रहल बा, जबकि तीन दिन एक ‘शाम शहीदों के नाम’ कार्यक्रम होई। अमरगढ़ महोत्सव समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह बतवलें कि जन सहयोग से महोत्सव आयोजित कइल जा रहल बा। ई पूर्वांचल खातिर गौरव के विषय बा। बहुत अइसन लोग मेला में शामिल होइहें, जिनके पूर्वज उहां शहीद भइलें। अमरगढ़ में शहीदन के स्मृति में भव्य स्मारक भी बनावल जाई।

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