सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणी, आर्य समाज के बियाह के प्रमाण पत्र देवे से कवनो संबंध नईखे
नाबालिग के अपहरण अवुरी बलात्कार के आरोपी के जमानत याचिका प विचार करत सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार के आर्य समाज के ओर से जारी बियाह के प्रमाण पत्र के स्वीकार करे से इनकार क देलस। आरोपी के खिलाफ आईपीसी के धारा 363, 366ए, 384, 376(2)(n), 384 अवुरी पीओसीएसओ एक्ट के धारा 5(l)/6 के तहत प्राथमिकी दर्ज कईल गईल।
जस्टिस अजय रस्तोगी अवुरी बीवी नागरत्ना के छुट्टी के पीठ आरोपी के वकील के ओर से लगावल आरोप के खारिज क देलस कि बलात्कार के दावा करेवाली लईकी वयस्क बिया अवुरी याचिकाकर्ता अवुरी ओकर बियाह आर्य समाज में भईल बा।
पीठ कहलस कि आर्य समाज के बियाह के प्रमाण पत्र जारी करे के कवनो अधिकार नईखे। ई अफसरन के काम ह. हमनी के सही प्रमाणपत्र देखाईं।
4 अप्रैल के सुप्रीम कोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसला के चुनौती देत एगो याचिका के सुनवाई करे प सहमत हो गईल रहे। उच्च न्यायालय मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा के बियाह करत समय विशेष विवाह अधिनियम 1954 के प्रावधान के पालन करे के निर्देश देले रहे।
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