Bhojpuri Sangam: 180वीं बइठकी में सुधीर श्रीवास्तव नीरज के भोजपुरी कहानी बा कौनो जबाब के भइल समीक्षा

Anurag Ranjan
भोजपुरी संगम के 180वीं बइठकी में उपस्थित साहित्यकार

गोरखपुर। भोजपुरी संगम (Bhojpuri Sangam) के 180वीं बइठकी वागेश्वरी मिश्र वागीश के अध्यक्षता आ सुधीर श्रीवास्तव नीरज के संचालन में संयोजक कुमार अभिनीत के 66, खरैया पोखरा, बशारतपुर गोरखपुर इस्थित आवास पs सम्पन्न भइल।

बइठकी के समीक्षा सत्र में सुधीर श्रीवास्तव नीरज के भोजपुरी कहानी बा कौनो जबाब? के समीक्षा कइल गइल। समीक्षा क्रम सुरू करत डॉ. नवनीत मिश्र कहलें कि सुधीर श्रीवास्तव नीरज के कहानी अपना शीर्षक के अनुरूप होके पाठकन के बीच मजबूत संवाद सेतु बनावेले आ उद्देश्य में सफल बिया। समीक्षा क्रम के आगे बढ़ावत अवधेश नंद कहलें कि सुधीर श्रीवास्तव नीरज अपना सशक्त शीर्षक आ बरियार पात्र के माध्यम से सुखांत कहानी के एगो उर्वर जमीन तइयार करे में सफल भइल बाड़ें। गजलकार सृजन गोरखपुरी कहलें कि सुधीर के कहानी में अनकहल कथ्यगत मौलिकता आ पठनीयता बा जवन भोजपुरी गद्य में अपार सम्भावनन के सुखद संकेत बा।

Bhojpuri Sangam:बइठकी के काव्य-सत्र के मंगलमय सुभारंभ राम समुझ साँवरा कइलें-

चिंता-फिकिर कुल्ही मिटि जाई, कलह न कतहूँ बढ़ी
गीता प्रेस क छपल कितबिया, ले के मन से पढ़ीं

भीम प्रसाद प्रजापति ने पानीदार रचना पढ़लें-

सबकर पानी राखत-राखत, आपन पानी सूखि गइल
परल जहाँ अपने से पाला, आखिर में सिर झूकि गइल

अरविंद अकेला व्यंग्य के छंदबद्ध कइलें-

आगि लागल बा जब तऽ बुतइबे करी
मूड़ ओखरी में बा तऽ कुटइबे करी

प्रेमनाथ मिश्र बसंत के सुंदर श्रृंगार कइलें-

जबसे बहलि बयार बसंती, फूले-फूल फुलाइल बा
किसिम-किसिम कऽ फूल देखि के, भँवरा मन भकुआइल बा

अजय यादव माटी के स्वर देलें-

हमके निरमोही सइयाँ सतावे लगे
काच निनिया में रोजे जगावे लगे

सुधीर श्रीवास्तव नीरज खूब फरमवलें-

अन्हार देखि अजोरे क भाव बढ़ि जाला
कबो-कभार गँवारे क बाति खलि जाला

अवधेश नंद श्यामल-श्यामल छंद पढ़लें-

नटखट नागर हे मधुसूदन! मोहन मोहि कहाँ चलि गइलऽ?
सिकहर बाट निहारत हेरत, माखन आजु कहाँ तुँहि खइलऽ?

राम सुधार सैंथवार जिनगी के पैबंद के गीत में पिरवलें-

तेवना अउर पेवना में बीतल जाता जिनगी
का हो राम! कबले चलत रही लबदी?

सृजन गोरखपुरी के प्रतिनिधि गजल काव्यक्रम के अंतिम आयाम देलें-

सील सुगना हलाक हो गइल
बेहयन कऽ खोराक हो गइल

रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी आ ध्रुव चन्द के विशेष उपस्थिति में आयोजित बइठकी के मेजबानी डॉ.विनीत मिश्र कइलें आ आभार ज्ञापन संस्था संरक्षक इं राजेश्वर सिंह कइलें।

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सिविल इंजीनियर, भोजपुरिया, लेखक, ब्लॉगर आ कमेंटेटर। खेल के दुनिया से खास लगाव। परिचे- एगो निठाह समर्पित भोजपुरिया, जवन भोजपुरी के विकास ला लगातार प्रयासरत बा। खबर भोजपुरी के एह पोर्टल पs हमार कुछ खास लेख आ रचना रउआ सभे के पढ़े के मिली। रउआ सभे हमरा के आपन सुझाव [email protected] पs मेल करीं।
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