अगर रउरा सोचत बानी कि रेलवे ट्रेन में सफर करत घरी सामान चोरी के बदले मुआवजा दी त पहिले ई खबर पढ़ीं।
सुप्रीम कोर्ट ऐतिहासिक फैसला देत घरी साफ क दिहले बा कि ट्रेन में समाना के चोरी के जिम्मेदारी रेलवे के नइखे। रेलवे के काम ट्रेन सेवा देवे के बा। ट्रेन यात्रा के दौरान सामान के सुरक्षा के पूरा जिम्मेदारी यात्री के बा। सुरेंद्र भोला नाम के एगो व्यक्ति के याचिका के बाद ए मामला में रेलवे के अपील के मामला में इ फैसला आईल बा।
यात्री बतवले कि ट्रेन में सफर के दौरान उनुका से एक लाख रुपया के रकम चोरी हो गईल। वर्तमान मामला में उ उपभोक्ता अदालत में संपर्क कईले, जेकरा बाद भारतीय रेलवे के यात्री के मुआवजा के रूप में एक लाख रुपया के रकम देवे के आदेश दिहल गईल। रेलवे ए फैसला से खुश ना रहे। एहसे उ एकरा खिलाफ अपील कईले। राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग अवुरी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग भी रेलवे के अपील के खारिज करत सुरेंदर के पक्ष में फैसला देले। एकरा बाद रेलवे वर्तमान मामला में सुप्रीम कोर्ट में पेश कईलस।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ अवुरी जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के डबल बेंच राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग अवुरी राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के ओर से यात्री के पक्ष में दिहल आदेश के पलट देले बिया। सुप्रीम कोर्ट कहलस कि, ‘यात्री के निजी सामान के रेलवे के ओर से दिहल गईल सुविधा से कवनो संबंध नईखे। हमनी के समझ से बाहर बा कि कवनो संदर्भ में चोरी के रेलवे के सेवा में कमी के रूप में कईसे देखल जा सकता। जब यात्री खुद आपन निजी सामान के रक्षा ना कर पवले त रेलवे के जिम्मेदार ना ठहरावल जा सकता।”