बिहार के सर्वोच्च साहित्य सम्मान से आजु सम्मानित होहिहें प्रो. विश्वनाथ तिवारी

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एकर एलान बिहार राजभाषा सचिवालय कइले बा। इ सम्मान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ से दिहल जाई। साहित्य के क्षेत्र में अप्रतीम योगदान खातिर 83 वर्षीय प्रो. तिवारी के ई सम्मान दिहल जा रहल बा। प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के एह साल दूसरका सबसे बड़ सम्मान से सम्मानित कईल जाता। एही साल गणतंत्र दिवस पs देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित कइल गइल।

पद्म श्री प्रो. बिहार के सर्वोच्च राजभाषा सम्मान ‘डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान-2020-21 से सम्मानित कइल जाई। इ सम्मान उनुका 31 जुलाई आजु पटना में मिली। एकरा तहत उनुका के तीन लाख रुपया अवुरी सम्मान पत्र दिहल जाई।

पहिले कई गो सम्मान मिलल

प्रो. तिवारी के साल 2010 में व्यास सम्मान आ साल 2019 में ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी सम्मान से सम्मानित कइल गइल बा। उहाँ के 2000 में साहित्य भूषण सम्मान, 2007 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से साहित्य गौरव सम्मान मिलल। एकरा अलावे महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान, महादेवी वर्मा गोयनका सम्मान, भारतीय भाषा परिषद के कृति सम्मान, मध्य प्रदेश के मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, उड़ीसा के गंगाधर मेहर राष्ट्रीय कविता सम्मान केंद्रीय हिंदी संस्थान से मिलल बा। उहाँ के संपादित पत्रिका ‘दस्तावेज’ के सरस्वती सम्मान भी मिलल बा।

साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी रहे

प्रो. तिवारी 10 साल ले साहित्य अकादमी में रहले। साल 2008 में उनुका के साहित्य अकादमी के संयोजक बनावल गइल। ढाई साल बाद साल 2010 में उनुका के साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष बनावल गईल। साल 2013-17 कुल पांच साल ले साहित्य अकादमी के अध्यक्ष रहले।

32 साल ले डीडीयू में दिहले सेवा

प्रो. विश्वनाथ मूल रूप से कुशीनगर के रायपुर भैंसही भेड़िहारी गाँव से हई। साल 1969 में गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से जुड़ल रहले। उ साल 2001 में अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हो गईले। आखर अनंत, आत्मा की धरती, अंतहीन आकाश, एक नाव के यात्री इनकर मुख्य रचना ह।

 

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