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श्रीलंका के भारत के खिलाफ इस्तेमाल ना होखे दिआई’, विक्रमसिंघे बोललें- चीन के साथे कवनो सैन्य समझौता ना

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श्रीलंका में चीन के कथित सैन्य उपस्थिति के बारे में एगो सवाल के जवाब देत राष्ट्रपति कहलें कि चीनी देस में लगभग 1500 बरिसन से बा आ अभी ले ओकर कवनो सैन्य अड्डा नइखे। राष्ट्रपति कहलें कि हंबनटोटा बंदरगाह के चीन द्वारा सैन्य इस्तेमाल के कवनो मुद्दा नइखे। बीजिंग 2017 में कर्ज के बदले 99 साल खातिर लीज पs एह बंदरगाह के लेले रहे।

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे कहलें कि ऊ अपना देस  के भारत के खिलाफ कवनो तरे के खतरा के अड्डा के रूप में इस्तेमाल ना होखे दिहें।

ब्रिटेन आ फ्रांस के आधिकारिक यात्रा के दौरान विक्रमसिंघे सोमार के फ्रांस के सरकारी मीडिया के दिहल गइल साक्षात्कार में जोर देके कहले कि उनकर देस तटस्थ बा आ चीन के संगे कवनो सैन्य समझौता नइखे कइल गइल आ ना कवनो सैन्य समझौता होई।

चीन के संगे कवनो सैन्य समझौता ना: श्रीलंका

श्रीलंका में चीन के कथित सैन्य उपस्थिति के बारे में एगो सवाल के जवाब देत राष्ट्रपति कहलें कि चीनी देस में लगभग 1500 साल से बा आ अभी तक ओकर कवनो सैन्य अड्डा नइखे।राष्ट्रपति कहलें कि हंबनटोटा बंदरगाह के चीन द्वारा सैन्य इस्तेमाल के कवनो मुद्दा नइखे। बीजिंग द्वारा 2017 में कर्ज के बदला में 99 साल के लीज पs ई बंदरगाह लिहल गइल रहे।

‘हंबनटोटा पोर्ट पs श्रीलंका के नियंत्रण’

विक्रमसिंघे आश्वस्त कइलें कि चीन के बेयपारिक उद्देश्य खातिर ई बंदरगाह दिहल गइला के बावजूद एकरा सुरक्षा पs श्रीलंका सरकार के नियंत्रण बा। दक्षिणी नौसेना कमान के हंबनटोटा भेजल जाई आ हंमबनटोटा में पास के क्षेत्रन में एगो ब्रिगेड तैनात कs दिहल गइल बा।

बता दीं कि पिछला साल श्रीलंका चीनी बैलिस्टिक मिसाइल आ उपग्रह ट्रैकिंग पोत युआन वांग पांच ले हंबनटोटा बंदरगाह पs लंगर डाले के अनुमति देले रहे। एसे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़त समुद्री उपस्थिति के लेके भारत आ अमेरिका में आशंका बढ़ गइल रहे। भारत के आशंका रहे कि पोत के ट्रैकिंग प्रणाली से श्रीलंका के बंदरगाह के माध्यम से भारत के जासूसी के कोसिस कइल जा सकत बा।

साभार: दैनिक जागरण

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