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नोटबंदी प केंद्र सुप्रीम कोर्ट में जवाब देलस: रिजर्व बैंक से 8 महीना तक विचार-विमर्श के बाद फसीला लिहल गइल रहे

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केंद्र सरकार बुध के सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी प हलफनामा दायर कइले बिया। एमे कहल गइल बा कि 500 आ 1000 के नोटन के तादाद बहुत जादे बढ़ गइल रहे। एहिसे फरवरी से लेके नवंबर तक RBI से विचार-विमर्श के बादही 8 नवंबर के एह नोटन के चलन से बाहर करे माने नोटबंदी के फसीला लिहल गइल रहे। एह ममिला के अगिला सुनवाई 24 नवंबर के होई।

सरकार कइलस अपना फसीला के बचाव

सरकार नोटबंदी के अपना फसीला के बचाव करत कहलस कि नोटबंदी करे के निर्णय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल के विशेष अनुशंसा प लिहल गइल रहे। नोटबंदी से जाली करंसी, टेरर फंडिंग, काला धन आ कर चोरी जइसन समस्यन से निपटला के प्लानिंग के हिस्सा आ असरदार तरीका रहे। ई इकोनॉमिक पॉलिसीज में बदलाव से जुड़ल सीरीज के सबसे बड़ डेग रहे।

नोटबंदी से भइल फयदो गिनवलस

केंद्रअपना जवाब में इहो कहलस कि नोटबंदी से नकली नोटन में कमी, डिजिटल लेन-देन में बढ़न्ती, बेहिसाब आय के पता लगावे जइसन कइयन गो लाभ भइल बा। अकेले अक्टूबर 2022 में 730 करोड़ के डिजिटल ट्रांजैक्शन ​​​​​​भइल, माने एक महीना में 12 लाख करोड़ रुपिया के लेन-देन रिकॉर्ड कइल गइल बा। जवन 2016 में 1.09 लाख ट्रांजैक्शन माने करीब 6952 करोड़ रुपिया रहे।

5 जजन के बेंच कर रहल बिया सुनवाई 

नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कइल गइल रहे। सबसे पहिले विवेक नारायण शर्मा केंद्र सरकार के चुनौती देले रहस। 2016 के बाद से नोटबंदी के खिलाफ 57 आउर याचिका दर्ज करावल  गई थीं। जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन, आ जस्टिस बीवी नागरत्ना वाली 5 जजन के संविधान पीठ एह ममिला के सुनवाई कर रहल बा।

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