पितृपक्ष शनिवार मतलब आजु सुरु हो गइल बा । अगिला 15 दिन तक लोग आपन पितर लो से निवेदित करीहे। एकर समापन 14 अक्टूबर के पितृ विसर्जन के साथे होई।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा से 15 दिन पs पितृपक्ष मनावल जाला। एह 15 दिन में लोग अपना पुरखा के पानी चढ़ावेला आ पुण्यतिथि पs श्राद्ध करेला। पितरन के कर्जा श्राद्ध के माध्यम से चुकावल जाला। साल के कवनो महीना आ तिथि में हमनी के पुरखा लोग खातिर श्राद्ध कइल जाला जे पितृपक्ष के ओही तारीख के स्वर्गवासी हो गइल बाड़े। श्राद्ध के मतलब जवन भक्ति से दिहल जाला पितृपक्ष के समय श्राद्ध कर के पुरखा साल भर सुखी आ कृपालु रहेले।
भोर के स्नान के बाद पितरन के तर्पण चढ़ावे खातिर सबसे पहिले कुश के हाथ में लेके हाथ जोड़ के पूर्वज के ध्यान करीं आ ओह लोग के आपन पूजा स्वीकार करे के नेवता दीं। पितरन के तर्पण के रूप में पानी, तिल आ फूल अर्पित करीं। एकरा संगे जवना दिन पुरखा लोग के मउत हो गईल बा, ओहि दिन खाना तइयार कs के ब्राह्मण के नाम पs अवुरी आपन भक्ति अवुरी क्षमता के मुताबिक ब्राह्मण के दान करीं। कौआ आ कुकुर के भी खियाईं।
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