आईआईटी-बीएचयू में नया शोध : गंगा में मिलल दू गो नया शैवाल, पानी के रसायन आ सीवेज के साफ करी, ई जान के रउरा हैरान होखब
आईआईटी बीएचयू के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा शोध कइल गइल बा। इहाँ गंगा में मिले वाला दू गो नया प्रजाति के शैवाल में अइसन क्षमता होला कि ऊ पानी में मौजूद सीवेज के साफ कर सकेले।
बाढ़ के समय गंगा में भी शैवाल लउकेला। ई शैवाल ना खाली गंगा के पानी के शुद्ध कs सकता बलुक एकर स्वास्थ्य में सुधार भी कs सकता। एकरा से जुड़ल बहुत तथ्य आईआईटी बीएचयू के एगो शोध में सोझा आइल बा। एह शोध में शोधकर्ता लोग गंगा में शैवाल के 2 गो नया प्रजाति के खोज कइले बा। आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक एह शैवाल के नाम वीएसवीएम-1 आ वीएसवीएम-2 रखले बाड़न।
आईआईटी बीएचयू के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर विशाल सिंह कहले कि गंगा में पावल जाए वाला ए दुनो नाया प्रजाति के शैवाल में अइसन क्षमता बा कि ई पानी में मौजूद सीवेज के साफ कs सकतारे। एकरा अलावा एह शैवाल सब में पानी में घुलल खतरनाक रसायन सब के सोख लेवे के क्षमता भी होला।
एह चीजन में भी शैवाल के इस्तेमाल करीं: खाली एतने ना, एह शैवाल सब के इस्तेमाल जैव ईंधन, बायोमास ऊर्जा, पूरक प्रोटीन के रूप में भी कइल जा सके ला। एकरा अलावे एकरा से पशु चारा भी बनावल जा सकता।
इहाँ से नमूना लिहल गईल : आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ता वाराणसी के रविदास घाट के नजदीक ए शैवाल के नमूना लेले रहले। लैब में एह शैवालन के परीक्षण कइला के बाद ई बहुते चीजन खातिर फायदेमंद पावल गइल। आईआईटी बीएचयू के एह शोध के भारत सरकार भी पेटेंट देले बिया।
जान लीं कि कइसे कामडॉ. विशाल सिंह बतवले कि ए प्रक्रिया के तहत पहिले गंदा पानी के कंटेनर में राखे के पड़ेला। कुछ समय बाद गंदगी बर्तन में भरल गंदा पानी में बस जाला। एकरा बाद एकरा के फेर से मिलावल जाला, जवना के चलते गंदगी के छोट-छोट कण पानी में घुल जाला। कुछ समय बाद ऊ लोग तब बर्तन के नीचे बस जाला। एकरा बाद अगर एह नया प्रजाति के शैवाल के ओकरा में राखल जाव तs ऊ गंदा पानी के हानिकारक रसायन के सोख लेला।
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