मथुरा के वृंदावन में जन-जन के आराध्य ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के प्राकट्योत्सव (28 नवंबर) बिहार पंचमी के मनावल जाई। महोत्सव के तैयारी शुरू हो गइल बा। एह दौरान ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर अउर निधिवनराज में अनेक धार्मिक आयोजन होई।
बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी बतवलें कि करीब 479 वर्ष पूर्व मार्गशीर्ष (अगहन) महीना के शुक्लपक्ष पंचमी के निधिवनराज में संगीतज्ञ हरिदास की संगीत साधना से प्रकट भइल श्यामश्यामा के युगल जोड़ी के समन्वित स्वरूप के ही ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के नाम से पुकारल जाला।
वृंदावन में निकली भव्य शोभायात्रा
ऊ बतवलें कि बिहार पंचमी के भोरे निधिवन में बिहारीजी के प्राकट्यस्थल पर दिव्य अभिषेक के बाद हरिदासजी के बधाई शोभायात्रा नगर भ्रमण करत दूपहर में बिहारीजी मंदिर पहुंचिहें। इहां अभिषेक, भोग, टीका, बधाई, मंगलगान, विशेष आरती आदि के बाद ठाकुरजी के राजभोग लगावल जाई। आरती के बाद सेवायतजन महोत्सव में शामिल भक्तजन के आशीर्वाद दीहें। नगर के अन्य स्थान पर भी विविध मनोरथ होइहें।
सात दशक पहिले शुरू भइल रहे शोभायात्रा
लगभग सात दशक पहिले बिहार पंचमी के परंपरागत महोत्सव साधारण तरीका से मनावल जात रहे। बरिस 1955 से 58 ले मंदिर के व्यवस्था सम्हारे वाली प्रबंध कमेटी गोस्वामी छबीले वल्लभाचार्य के संयोजन में बांकेबिहारी समारोह परिषद के गठन कइलें। एकरे बाद से महोत्सव में शोभायात्रा निकाले के परंपरा शुरू भइल।
धीरे-धीरे विस्तार पावे वाले बिहार पंचमी महोत्सव में भक्तन के साथ बेरीवाला परिवार भी ख़ासा योगदान देला। पर्व पर पीयर पोलिस से सजल मंदिर में पीत पोशाक सहित बहुमूल्य आभूषण धारण करे वाले बिहारी जी के केसरिया पंच मेवायुक्त बादाम हलुआ अउर मेवा के लड्डुअन के विशेष भोग लगावेने।