सुख, शांति, धन, समृद्धि, सफलता, प्रगति, संतान, पदोन्नति, नौकरी, बियाह, प्रेम आ बीमारी खातिर सोमार के दिने एह मंत्रन के जप करीं। अगर रउआ कवनो तरह के ऋण में बानी त भगवान शिव के नमन करत 15 मंत्र के जप करीं। कर्ज जरूर कम हो जाई।
इहाँ शिव शंभू के अइसन 15 गो मंत्र प्रस्तुत कइल गइल बा जिनकर जप से जीवन में हर तरह के शुभ, अनुकूलता आ प्रगति होला।
शिव जी के 15 चमत्कारी मंत्र- 
1. ॐ शिवाय नम:
2. ॐ सर्वात्मने नम:
3. ॐ त्रिनेत्राय नम:
4. ॐ हराय नम:
5. ॐ इन्द्रमुखाय नम:
6. ॐ श्रीकंठाय नम:
7. ॐ वामदेवाय नम:
8. ॐ तत्पुरुषाय नम:
9. ॐ ईशानाय नम:
10. ॐ अनंतधर्माय नम:
11. ॐ ज्ञानभूताय नम:
12. ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
13. ॐ प्रधानाय नम:
14. ॐ व्योमात्मने नम:
15. ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम:
एह शिव गायत्री मंत्र के साथे एह मंत्रन के जप बहुते शुभ मानल जाला।
शिव गायत्री मंत्र : : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
ॐ नमः शिवाय मंत्र के महत्व
भगवान शिव जब अग्नि स्तम्भ के रूप में प्रकट भइले त उनकर पाँच गो चेहरा रहे। पांच तत्व पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि आ वायु के रूप में रहे। जवन शब्द के उत्पत्ति सबसे पहिले ओम शब्द रहे, बाकी पांच शब्द नम शिवाय के उत्पत्ति उनुका पांच मुँह से भईल जवन सृष्टि के पहिला मंत्र मानल जाला, इहे महामंत्र ह। एकरा से पांच गो मूल स्वर अ इ उ ऋ लृ आ व्यंजन जवन पांच गो अक्षर वाला पांच वर्ग के होला, उभरल। त्रिपदा गायत्री भी एही शिरोमंत्र से निकलल, एही गायत्री से वेद आ वेद से करोड़ो मंत्र के प्रकट भइल।
एह मंत्र के जप से सब कामना पूरा हो जाला। भोग आ मोक्ष दुनो देवे वाला इ मंत्र एकरा के जपे वाला के सभ रोग के भी ठीक करेला। एह मंत्र के जप करे वाला के लगे बाधा ना आवेला अवुरी यमराज अपना दूत के आदेश देले बाड़े कि इ मंत्र के जप करेवाला के लगे कबो ना जास। ओकरा मौत के प्राप्ति ना होला बलुक मोक्ष के प्राप्ति होला। ई मंत्र शिववाक्य ह, ई शिवज्ञान ह।
जे एह मंत्र के मन में लगातार राखेला ऊ शिव के रूप बन जाला। भगवान शिव हर मनुष्य के हृदय में मौजूद अव्यक्त आंतरिक अस्तित्व हवें आ प्रकृति मनुष्य के प्रकट आंतरिक अस्तित्व हवे। नम: शिवाय: पंचतत्वमक मंत्र ह, एकरा के शिव पंचक्षरी मंत्र कहल जाला। एह पंचक्षरी मंत्र के जप से ही आदमी पूर्ण उपलब्धि हासिल कs सकेला।
एह मंत्र के हमेशा शुरू में ॐ जोड़ के जप करे के चाहीं। भगवान शिव के बारे में लगातार सोचत एह मंत्र के जप करीं। सबके प्रति सदैव दयालु भगवान शिव के बार-बार स्मरण करत, पूरब के ओर मुँह क के पंचक्षरी मंत्र के जप करीं।