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मंगल पांडे जी आज के ही दिने बलिदान देले रहले, जानि 8 अप्रैल के इतिहास

देश में अंग्रेजन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के पहिला पुकार करे वाला सिपाही मंगल पांडे 8 अप्रैल 1857 के आपन जान दे दिहलें। ईस्ट इंडिया कंपनी के 34वीं बंगाल इन्फैंट्री के जवान मंगल पांडेय के एह दिन फाँसीपेर लटका दिहल गइल|

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मंगल पांडे जी आज के ही दिने बलिदान देले रहले, जानि 8 अप्रैल के इतिहास

आज के दिन भारतीय इतिहास के साथे-साथे दुनिया के इतिहास में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान बा। देश में अंग्रेजन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के पहिला पुकार करे वाला सिपाही मंगल पांडे 8 अप्रैल 1857 के आपन जान दे दिहलें। ईस्ट इंडिया कंपनी के 34वीं बंगाल इन्फैंट्री के जवान मंगल पांडेय के एह दिन फाँसीपेर लटका दिहल गइल|

भारत के एह महान स्वतंत्रता सेनानी के बारे में कुछ रोचक बात –

अंग्रेजन के छुटकारा पावे वाला क्रांतिकारी मंगल पांडे के जनम 19 जुलाई 1827 के भइल रहे। मंगल पांडेय 1857 में ब्रिटिश अधिकारियन के खिलाफ विद्रोह कइलें, जेकरा बाद नियत तिथि से पहिले फांसी पे लटका दिहल गइल। उनुका नाम से अंग्रेज काँपत रहले। मंगल पाण्डेय के 18 साल के उमिर में ईस्ट इंडिया कंपनी के 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैन्ट्री में सैनिक के रूप में भर्ती भइल रहे।

 

मंगल पाण्डेय के नारा ‘मारो फिरंगी को’ 

1857 ई. से सेना में ‘न्नई एन्फील्ड राइफल’’ के प्रयोग शुरू भइल, जवना में गाय आ सुअर के चर्बी वाला कारतूस के इस्तेमाल होखे लागल। मंगल पाण्डेय के नेतृत्व में जवान सबसे पहिले एह कारतूस के इस्तेमाल से जुड़ल आदेश के उल्लंघन कईले। कहल जाला कि मंगल पांडे अंग्रेजन के एह चाल से अतना नाराज हो गइलन कि अंग्रेजन के तबाह करे के प्रण ले लिहलन | इहाँ तक कि उ ‘मारो फिरंगी को’ के नारा से अंग्रेज पे हमला बोल देले।

जल्लाद फांसी पे लटकावे से मना क दिहले

उ लेफ्टिनेंट बाग पे गोलीबारी कईले, हालांकि उ निशाना पे ना पहुंचले। बाग मंगल पांडे के भी निशाना बनवले, लेकिन गोली निशाना पे ना लागल। एह तरह से लेफ्टिनेंट बाग आपन जान बचावे के बाद मौका से भाग गईले। मंगल पाण्डेय के ई प्रयास बेकार ना गइल| बैरकपुर से लेके मेरठ, दिल्ली, कानपुर आ लखनऊ तक सिपाही विद्रोह शुरू भईल, मंगल पांडे के प्रयास के चलते अंग्रेज के घुटना टेकले पे मजबूर भईल। हालांकि मंगल पाण्डेय के एह विद्रोह खातिर उनुका के जेल में डाल दिहल गइल आ फाँसी के सजा सुनावल गइल| रउरा ई जान के हैरान होखब कि बैरकपुर के जल्लाद मंगल पांडे के फांसी पे लटकावे से मना क दिहले, ओकरा बाद कलकत्ता से 4 जल्लाद के बोलावल गइल आ ओह लोग से फांसी लगवावल गइल|

 

 10 दिन पहिले फांसी दे दिहल गईल रहे

मंगल पाण्डेय भी फाँसी से कई दिन पहिले आपन जान लेबे के कोशिश कईले रहले। आ, एह कोशिश में ऊहो गंभीर रूप से घायल हो गइलन| 18 अप्रैल 1857 के दिन मंगल पांडे के फांसी खातिर तय हो गइल, जेल में रहला के बावजूद मंगल पांडे के प्रभाव एतना रहे कि अलग-अलग जगह पे अंगरेजी सत्ता के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गइल। एह विद्रोह के शांत करे खातिर 8 अप्रैल 1857 के फांसी पे लटका दिहल गइल, जवन कि नियत तिथि से 10 दिन पहिले रहे। 1857 के क्रांति के बाद स्वतंत्रता संग्राम के गति मिलल आ बाद में भारत के आजादी मिलल।

 

भारत के इतिहास में आज के दिन

मंगल पाण्डेय के अलावा भारतीय इतिहास में आजादी के लड़ाई में योगदान देवे वाला भगत सिंह आ बटुकेश्वर दत्त 8 अप्रैल 1929 के दिल्ली के केंद्रीय विधानसभा पे बम फेंकले। हालांकि एह बम विस्फोट के मुख्य मकसद केहू के नुकसान पहुंचावल ना रहे। आ साल 1894 के आजुका दिने राष्ट्रगीत बांदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के निधन हो गइल|

 

विश्व इतिहास में आज के दिन

विश्व स्तर के बात कईल जाए त ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहल मार्गरेट थैचर के आज के दिन निधन हो गईल। 20वीं सदी में तीन बेर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहली। इनके निधन 8 अप्रैल 2013 के लंदन में भइल। एकरा अलावे स्पेन के मशहूर चित्रकार पाब्लो पिकासो के भी साल 1973 में एही दिन निधन हो गईल।

दूसर ओर 1950 के आज के दिन भारत आ पाकिस्तान में अल्पसंख्यक के अधिकार के रक्षा खातिर लियाकत-नेहरू समझौता पे हस्ताक्षर भईल| भविष्य में दुनो देश के बीच युद्ध के रोके के मकसद से भी इ काम कईल गईल रहे| एकरा अलावा 8 अप्रैल 1914 के अमेरिका आ कोलंबिया के बीच पनामा नहर के संबंध में एगो संधि पपे हस्ताक्षर भइल।

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