वैशाख के शुरुआत के साथ सत्तुआनी के महान पर्व मनावल जाला। एकरा के मनावे के परंपरा उत्तर भारत के कई जगहा बहुत दिन से चलत आ रहल बा। एह दिन लोग अपना पूजा स्थल पे माटी आ पीतल के घड़ा में आम के पल्लव लगा देला। आज के दिन दाल से बनल सत्तू खाए के परंपरा बा। सतुआनी के महान पर्व आजु यानी 13 अप्रैल के मनावल जा रहल बा।
सतुआनी के परब पे सत्तू, गुड़ आ चीनी के पूजा होला। एह परब पे दान में सोना चांदी के दान कइल भी बहुत जरूरी बा। पूजा के बाद लोग सत्तू, आम के प्रसाद के रूप में लेवेला।
एकरा एक दिन बाद 15 अप्रैल के जुड शीतल के त्योहार मनावल जाई। 14 अप्रैल के सूर्य मीन राशि से निकल के मेष राशि में प्रवेश करीहे। एही अवसर पे ई परब मनावल जाला। एह दिन पेड़ पे बासी पानी डाले के परंपरा भी बा। बिहार में जुड्ड शीतल के त्योहार उत्साह से मनावल जाला।
सतुआनी के पूजा विधि
सतुआनी के परब से महज एक दिन पहिले माटी के घड़ा में पानी ढंक के राखल जाला। फेर शीतल के दिन पूरा घर में पबित्र उहे पानी छिड़कल जाला। मानल जाला कि एह बासी पानी के छिड़क के पूरा घर आ आँगन शुद्ध हो जाला।
एह दिन बासी खाना खाए के परंपरा भी बा। कहल जाला कि जब मीन राशि से सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेले, तब अपना सद्गुण काल में सूर्य-चंद्र के किरण के चलते अमृत के वर्षा होखेला, जवन कि स्वास्थ्य खातीर फायदेमंद होखेला। एही से लोग एह दिन बासी खाना खाला।
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