धरम-करम: सोमार के करी पशुपति व्रत, जानीं एह व्रत के संपूर्ण जानकारी
भगवान पशुपति, जेकरा के पशुपतिनाथ के नाम से भी जानल जाला, भगवान शिव के अवतार हवें जे पशु के स्वामी के नाम से जानल जालें। उनकर पूजा पूरा दुनिया में होला, खासकर नेपाल में, जहाँ उनकरा के पशुपतिनाथ के नाम
से जानल जाला। हिन्दू लोग भगवान शिव के आपन प्रधान देवता के रूप में पूजा करेला। सद्योजाता (बरुन), वामदेव (उमा महेश्वर), तत्पुरुष, अघोर आ ईशान भगवान पशुपतिनाथ के पांच चेहरा हवें, जवन शिव के अनेक अवतारन के प्रतीक हवें। ई क्रम से पच्छिम, उत्तर, पूरब, दक्खिन आ आंचल की ओर उन्मुख करे लीं। ई पाँच गो चेहरा हिन्दू धर्म के पाँच गो मुख्य तत्व धरती, पानी, हवा, प्रकाश आ आकाश के प्रतीक हवें। पशुपतिनाथ पूजा पाप के क्षमा, पशु के देखभाल, मनुष्य के रूप में पुनर्जन्म आ आर्थिक प्रगति खातिर कइल जाला। संतानहीन जोड़ा भी संतान पावे खातिर भगवान पशुपति के पूजा करेला।
पशुपति व्रत कहानी
पशुपति व्रत कथा कई रूप में उपलब्ध बा। भगवान शिव आ देवी पार्वती कबो धरती पs घूमत रहले जब बागमती नदी के निश्चिंत आ वैभव वातावारण से मंत्रमुग्ध हो गइले आ तब भगवान शिव आ देवी पार्वती अपना दिव्य आध्यात्मिक ध्यान खातिर ओहिजा रहे के फैसला कइले, ऊ हिरण के रूप ले के कुछ देर ले ओहिजा रहे के चुनले। तब भगवान शिव के सब देवता लोग कैलाश पर्वत पs वापस आवे के कहले लो, लेकिन उs ना मनले। आ नदी के ओह पार जात घरी उनकर सींग टूट गइल आ तब भगवान पशुपति एहिजा चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट भइले।
पशुपति के व्रत कब करे के चाही?
रउरा कवनो सोमार के आपन पशुपतिनाथ व्रत सुरू कs सकेनी कवनो खास दिन के इंतजार करे के जरूरत नइखे जब शुक्ल पक्ष, कृष्ण पक्ष, होलाष्टक, भा कवनो दोसर तारा अस्त होत होखे, तs कs सकीलें।
पशुपति व्रत पूजा सामग्री
पशुपति व्रत के पूजा खातिर निम्नलिखित सामग्री के जरूरत पडेला-
*तांबा के पूजा थाली
*कांसे का दिया
*तांबे का लौटा
*जल
*दूध
*दही
*शुद्ध घी
*शुद्ध शहद
*शक्कर या मिश्री
*पूजा के सुपारी
*सफेद चंदन
*यज्ञोपवीत या जनेऊ
*अष्टगंध
*गुलाल
*लाल कुमकुम
*पीला सिंदूर
*सफेद तिल
*काला तिल
*इत्र
*केसर
*सफेद फूल
*माला
*धतूरे के फल, फूल
*समीपत्र
*बेलपत्र
*सफेद गुलाब
*अगरबत्ती
*मौली या कलावा
*घी की बत्ती
*ओटी का सामान
*शुद्ध कपूर
*कमलगट्टा
*अन्य सामग्री
*शिव अभिषेक स्टैंड
*लाल चंदन
पशुपति मंत्र
संजीवय संजीवय फट । विद्रावय विद्रावय फट । सर्वदुरितं नाशय नाशय फट
पशुपतिनाथ जी के आरती
जय पशुतिनाथ हरे
जय पशुपतिनाथ हरे ||
भक्त जनों की संकट
दासों जनों के संकट
पल में दूर करें।
जय पशुपतिनाथ हरे
जय पशुपतिनाथ हरे ||
अष्टमुखी शिव नाम तिहारो
शरण में आए तेरे
स्वामी शरण में आए तेरे
इक्षा फल प्रभु देहु
कष्ट हटाओ मेरे।
जय पशुपतिनाथ हरे
जय पशुपतिनाथ हरे ||
शिव ना तट पर आप बिराजे
पूजे नर नारी
निशदिन तुमको ध्यावे
भक्तन हितकारी।
जय पशुपतिनाथ हरे
जय पशुपतिनाथ हरे ||
तुम हो जग के स्वामी शंभू
अन धन के भरता
स्वामी अन धन के भरता
अष्टमुखी त्रिपुरारी
जग तम के हरता।
जय पशुपतिनाथ हरे
जय पशुपतिनाथ हरे ||
तन मन धन सब अर्पण
आरती भोले गाएं
तुम हो दया के सागर
द्वार तुम्हारे आए।
जय पशुपतिनाथ हरे
जय पशुपतिनाथ हरे ||
दास जनों के संकट
दासों जनों के संकट
पल में दूर करें।
जय पशुपतिनाथ हरे
जय पशुपतिनाथ हरे ||
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