Special story : ईंहों के जानी, ईंहों के पहचानी :अतरंगी कलाकारी के ‘दीपिका सिंह’
खबर भोजपुरी रउरा सभे के सोझा एगो सेगमेंट लेके आइल बा….एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव 'अतरंगी कलाकारी इंस्पायर्ड बाई नेचर' से स्टार्टअप करे वाली दीपिका सिंह के बारे में....बचपन से ही दीपिका के कला के बहुत शौक रहे आ उ तरह तरह के माटी से आकृति बनावत रहली इनकर परिवार कला के तरफ रुझान देख के सोचले कि काहे ना दीपिका के एहि में कैरियर बनावल जाव।
खबर भोजपुरी रउरा सभे के सोझा एगो सेगमेंट लेके आइल बा….एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव ‘अतरंगी कलाकारी इंस्पायर्ड बाई नेचर’ से स्टार्टअप करे वाली दीपिका सिंह के बारे में…
दीपिका सिंह के जनम गोरखपुर के एगो मध्यम वर्गी परिवार में भइल। दीपिका के परिवार में माई, बाबूजी, भाई आ दादी बाड़ी, एही लोगन के साथे इनकर पुरा बचपन बितलs। पड़ाई पुरा कइले के बाद स्कूल में टीचर रहली कुछ निजी समस्या के चलते नौकरी के छोड़े के पड़ल जवने वजह से दीपिका बहुत परेशान रहत रहली।
बचपन से ही दीपिका के कला के बहुत शौक रहे आ उ तरह तरह के माटी से आकृति बनावत रहली इनकर परिवार कला के तरफ रुझान देख के सोचले कि काहे ना दीपिका के एहि में कैरियर बनावल जाव। इनकर परिवार बहुत सपोर्ट कइल आ उs एगो ड्राइंग क्लास ज्वाइन कइली जवना में उs अपने कला के अभ्यास कइली। ओहि साल दिसंबर के अंत में एगो प्रतियोगिता होत रहे, जवना में इनके बहुत बढ़िया अनुभव भइल, अउर बिक्री भइल, तब दीपिका सोचली कि काहे ना हम एकरा के आपन काम में शामिल कइल जाव। ओहिजा आइल मुख्य अतिथी पेंटिंग के खूब तारीफ कइलन आ कहले कि “काहे ना रउरा टेराकोटा पs काम करत बानी।” एकरा के जीआई टैग मिल गइल, ओहिजा टेराकोटा के बारे में विस्तृत जानकारी दिहल गइल। दीपिका के पता चलल कि टेराकोटा में का बा, सोचली कि काहे ना ज्वेलरी पs काम कईल जाव, टेराकोटा के बहुत बढ़िया से अध्ययन कईली अवुरी तब से बहुत चीज़ बनवले बाड़ी । ओकरा बाद गाँव के कई गो मेहरारू लोग से भेंट भइल। ओह लोग के साथे मिल के काम कइली आ कॉलेज में लइकन के भी टेराकोटा के बारे में बतवली आ सिखवली।आ ओह लोग के भी काम करे के मउका दिहली। आजु गोरखपुर में टेराकोटा काम के बहुत पसंद करेला आ दूसरे सहरन में भी जाने वाला आ पसंद करे वाला लोग बा।
गोरखपुर के मशहूर टेराकोटा से गहना बनावे में लागल दीपिका सिंह से खास बतकही….
“अतरंगी कलाकारी इंस्पायर्ड बाई नेचर” में जवन भी काम हो रहल बा, सब के साथे मिलजुल के काम करत रहेली आ औरतन के आत्मनिर्भर बने में मदद भी मिलेला। ई काम बहुत बढ़िया से हो रहल बा।
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