इहां पावल जाला तैरे वाला ऊंट, दुनियाँ भर से देखे आवेलें सैलानी

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तैरत ऊंट : राजस्थान में पावल जाला, आ एकरा के रेगिस्तान के जहाज भी कहल जाला काहें से कि ई बालू में केतना तेजी से चले ला। बाकिर हम रउरा सभे के ऊंट के एगो अइसन प्रजाति के बारे में बतावे जा रहल बानी जवना के बारे में रउरा शायद ना सुनले होखब। ई प्रजाति एतना खास बा कि एकरा के देखे खातिर खाली भारत से ना बलुक दुनिया भर से लोग आवेला। अब एह प्रजाति के लेके रउरा दिमाग में बहुत सवाल उठ सकेला? तs आईं एकरा बारे में विस्तार से बतावत बानी जा।

एह प्रजाति के एही नाँव से जानल जाला

असल में एह प्रजाति के ‘खाराई’ नाम से जानल जाला। एकरा बारे में बहुत कम लोग के मालूम बा। एह से नाम सुनते ही ओकरा बारे में जाने के जिज्ञासा बढ़ जाला। ऊंट के खाराई प्रजाति गुजरात के कच्छ में पावल जाले।

ई प्रजाति समुद्र में भी लंबा दूरी ले चलेले

समुदर में तैर के लमहर दूरी तय करे के क्षमता वाला एह प्रजाति के मुख्य भोजन चेर होला। अब रउरा दिमाग में सवाल आवत होई कि ई चेर का हs? तs आईं एकरा बारे में बतावल जाव। असल में चेर एगो अइसन पौधा हs जवन खराई प्रजाति के ऊंट के बहुत पसंद आवेला। एकरा के खाए खातिर कई किलोमीटर ले तैर के समुंदर के पार करेले। ऊंट के खराई प्रजाति के मुख्य भोजन समुद्र में पावल जाए वाला वनस्पति हवे।

ऊंट के दूध से गंभीर बेमारी ठीक हो जाला

एह क्षेत्र में ऊंट के दूध के इस्तेमाल होला। एकर सेवन स्वास्थ्य खातिर भी फायदेमंद मानल जाला। एकरा से कई गो खाद्य पदार्थ बनावल जाला आ स्थानीय निवासी लोग एह दूध के सेवन करेला। मानल जाता कि ऊंट के दूध के सेवन से डायबिटीज, मिर्गी अवुरी कैंसर जईसन गंभीर बेमारी से भी दूर रहेला।

खाराई नाम कईसे पड़ल?

खारा समुन्दर में तैरे के कारण एह प्रजाति के स्थानीय भाषा में खराई के नाँव रखल गइल। खराई के नाम खरा शब्द से पड़ल बा।

 

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