प्रेमचंद जयंती आउर प्रेमचंद साहित्य संस्थान; इयाद कइल गइलें कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद
गोरखपुर: गोरखपुर के धरती कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद के लेखन के कर्मभूमि हs। उनका कहानियन में परिस्थितिजन्य जवन चित्र लउकेला, ओकरा के देखत केहूओ इहे कही कि उनकर ‘ईदगाह’ आ ‘नमक का दारोगा’, कर्बला इत्यादि कहानी इहवें लिखल गइल बाड़ी सs, माने गोरखपुर शहर के धरती पs। ई बात सब लोग जानत बा कि प्रेमचंद जी शिक्षा विभाग में अधिकारी के रूप में गोरखपुर में सेवारत रहलें। इहवें रहके ऊ गोरखपुर से प्रकाशित ‘स्वदेश’ नामक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में बतौर संपादक काम कइलें, जवन कबो भुलावल नइखे जा सकत। ३१ जुलाई २०२३ के दिन ओहि भवन के सामने, जवना के कबो प्रेमचंद जी आपन आशियाना बनवले रहस, उनका के जवना शिद्दत से प्रेमचंद साहित्य संस्थान आ’सूत्रधार’ संस्था के अगुवाई में जन संस्कृति मंच, प्रगतिशील लेखक संघ आ महानगर के तमाम अनाम संगठनन से जुड़ल संस्कृति कर्मी लोग इयाद कइल, ऊ हमरा समझ में अकल्पनीय आ अनूठा कहल जा सकत बा।
एह कार्यक्रम के एह रंग में रंगे के श्रेय महानगर के वरिष्ठ ‘जनरंगशिल्पी’ परम आदरणीय राजाराम चौधरी जी के जात बा, जे ना खाली अपना कलात्मक संवेदना के दर्शकन से लोहा मनववलें बलूक किस्सागोई के अंदाज में मुंशी प्रेमचंद लिखित ‘सवा सेर गेहूं’ कहानी के नाटकीय रंग में जवना करीना से रंगलें, ओसे सब दर्शक अभिभूत रहल लो। इहां तक कि जवना समय राजाराम जी के इहां कार्यक्रम चलत रहे, अन्हार होखला के वजह से दर्शकन के मच्छर नोंचल सुरू कs देले रहलें सs, एकरा बादो दर्शक टस्स से मस्स ना भइल लो। कार्यक्रम के सुरुआत प्रेमचंद साहित्य संस्थान के सचिव प्रो. राजेश मल्ल के स्वागत संबोधन से भइल। संचालन के दायित्व डा. आनंद पांडेय निभवलें।
कार्यक्रम के पहिला भाग के विशेष आकर्षण महानगर के वरिष्ठ कहानीकार लाल बहादुर के सद्य: लिखित कहानी ‘शादी का कार्ड’ रहल। मनोवैज्ञानिक धरातल पs बुनल गइल एह कहानी में लाल बहादुर मवजूदा सामाजिक-राजनीतिक परिवेश आ वैचारिकी में निरंतर आ रहल गिरावट के शब्द चित्र जवना करीना से खींचलें, उपस्थित लोग बहुत कुछ सोचे के विवश हो गइल।
एह कार्यक्रम में संयोगवश इलाहाबाद आ उत्तराखंड से आइल दर्शक-श्रोता लोगन के अलावे गोरखपुर विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अनिल राय, अशोक चौधरी, असीम सत्यदेव, कवि केतन यादव, डा. रंजना जायसवाल, निखिल पांडेय, यशस्वी यशवंत, हिंदी-भोजपुरी के गीतकार वीरेंद्र मिश्र दीपक समेत पचास से जादे लोग उपस्थित रहल। अंतिम में डा. आनंद पांडेय सबका प्रति आभार व्यक्त कइलें।
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