Gorakhapur news: सरस्वती शिशु मंदिर में संत रविदास जी के उत्साह के साथे मनावल गईल जयंती

Minee Upadhyay

सरस्वती शिशु मंदिर  पक्की बाग गोरखपुर में संत रविदास जी के जयंती मनावल गईल। जवना में संस्कार केंद्र के प्रमुख स्कूल के सीनियर आचार्य श्री योगेन्द्र पाण्डेय जी कहले कि संत रविदास के जनम अतवार 1433 के माघ महीना के पूर्णिमा के दिन भईल रहे। एह से हर साल माघ महीना के पूर्णिमा तिथि के रविदास जयंती के रूप में मनावल जाला।

रविदास जी के जनम 15वीं सदी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के एगो मोची परिवार में भइल रहे।उनकर पिता जाति के हिसाब से जूता बनावे के पारंपरिक पेशा करत रहले, जवना के ओह घरी निम्न जाति मानल जात रहे। बाकिर अपना विनम्र पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद रविदास जी भक्ति आन्दोलन, हिन्दू धर्म में भक्ति आ समतावादी आन्दोलन में एगो प्रमुख हस्ती के रूप में उभरले। 15वीं सदी में रविदास जी द्वारा सुरू कइल गइल भक्ति आन्दोलन ओह समय के एगो बड़हन आध्यात्मिक आन्दोलन रहे।

श्री गुरु रविदास जी समाज खातिर एगो महान संत आ समाज सुधारक रहले। उनकर जीवन भक्ति, समाज सुधार आ मानवता के योगदान खातिर समर्पित रहे।गुरु रविदास के जीवन भक्ति आ ध्यान खातिर समर्पित रहे। भक्ति के भावना से कई गो गीत, दोहा आ भजन के रचना कइलें, आत्मनिर्भरता, सहिष्णुता आ एकता उनकर मुख्य धार्मिक संदेश रहे। हिन्दू धर्म के साथे सिख धर्म के अनुयायी लोग के भी गुरु रविदास के प्रति श्रद्धा बा।

समाज सुधार में गुरु रविदास जी के भी विशेष योगदान रहे। उs जातिवाद, भेदभाव अवुरी सामाजिक असमानता के विरोध कईले अवुरी समाज के समानता अवुरी न्याय के ओर प्रेरित कईले। गुरु रविदास जी शिक्षा के महत्व पs जोर देके अपना शिष्य लोग के उच्चतम शिक्षा के आगे बढ़ावे खातिर प्रेरित कईले। अपना प्रसिद्ध मध्यकालीन संत मीराबाई भी रविदास जी के आपन आध्यात्मिक गुरु मानत रहली।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश सिंह कहले कि इंसान जन्म से ना अपना कर्म से महान हो जाला, संत रविदास ओह संत में से एक हवें जे समाज आ देश के एगो नया हालत आ दिशा देवे के काम कइले। एह मउका पs, पूरा स्कूल परिवार मौजूद रहे।

 

 

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