पति के लमहर उमिर खातिर बियाहल मेहरारू कई तरह के व्रत राखेली सँ. एहमें से एगो हरियाली तीज व्रत ह। हरियाली तीज हर साल सावन महीना के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि के मनावल जाला। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक ए साल हरियाली तीज 31 जुलाई के धूमधाम से मनावल जाई।
हरियाली तीज के व्रत करवा चौथ के व्रत से मिलत जुलत बा। ई व्रत भी निर्जला होला आ एह व्रत में साँझ के पूजा कइला के बाद ही पानी पीयल जाला। हरतालिका तीज व्रत के का तरीका बा आ एह व्रत में हरियर रंग के का महत्व बा? जनसत्ता डॉट कॉम से भइल एगो खास बातचीत में दिल्ली के अंकशास्त्री सिद्धार्थ एस कुमार से भइल एगो खास बातचीत में एकरा के विस्तार से बतावल गइल बा. आईं जान लीं –
हरियाली तीज उपवास के तरीका
- एह दिन सबेरे-सबेरे उठ के नहाए आदि के बाद पूजा-पाठ करीं आ उपवास राखीं।
- हरियाली भा हरियाली तीज व्रत जलहीन होला, एही से एह व्रत में पानी ना पीये के चाहीं।
- साँझ के सोलह गो सिंगार करके भगवान भोलेनाथ आ माता पार्वती के पूजा करीं।
- साथ ही व्रत के समय रात में जाग के शिव-पार्वती के पूजा करे के चाहीं।
हरियाली तीज में हरिहर रंग के महत्व
सावन महीना में हरियर रंग के खास महत्व होला, काहें से कि ई प्राकृतिक रंग होला। संगही, हरियर रंग से मन के शांति मिलेला। हिन्दू धर्म में हरियर रंग के अटूट शुभ भाग्य के प्रतीक मानल जाला। इहे कारण बा कि हरियाली तीज में ए रंग के पहिरल शुभ मानल जाला।
शिव जी के हरियर रंग बहुत पसंद बा
शास्त्र के अनुसार हरियर रंग शिव के पूरा परिवार के प्रिय बा। हरियर रंग देवी पार्वती के ह आ ई रंग भी भगवान शिव के बहुत प्रिय बा। एकरा अलावे गणेश जी भी ए रंग के बहुत प्रिय बाड़े, एहसे गणेश जी के हरियर दूरवा चढ़ावल जाता।
दूसर ओर ज्योतिष के मुताबिक हरियर रंग के बुध के रंग मानल जाला अवुरी हरियाली तीज के समय हरियर रंग के कपड़ा पहिनला से बुध के मजबूती मिलेला। साथ ही हरियर रंग के कांच के चूड़ी पहिरला से पति के जीवन बढ़ जाला, एहसे हरियाली तीज के पूजा करत घरी हरियर रंग के कपड़ा अवुरी चूड़ी पहिने के चाही।