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GORKHPUR: गोरखपुर में आयोजित भइल पुरवाई लोकउत्सव

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लोक कला के जीवन से गहरा जुड़ाव होला। लोक कला आ जीवन एक दोसरा से अतना घुलल मिलल होला कि ओकरा के अलग कइल मुश्किल होला। लोके के चेतना अनिवार्य रूप से सत्ता के प्रतिपक्ष राखेला उऽ सत्ता चाहे समाज के होखे, धर्म के भा राज्य के होखे जीवन के बाधित करे वाली सब शक्तियन के लोक कला बहुत गहरा स्तर पs चुनौती देवेला।

उपर लिखल बात अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के पूर्व प्रति कुलपति प्रो चितरंजन मिश्रा कहले, उऽ शुक्रवार के एडी माल के सामने होटल प्रगति इन के सभागार में अगस्त 2 ( शुक ) के पुरवाई कला गोरखपुर के तत्वाधान में लोक उत्सव 2024 के तहत भावांजलि आ लोक के जीवन संघर्ष आ लोक कला विषय पs आयोजित संगोष्ठी के बतौर अध्यक्ष संबोधित करत रहलें।

उऽ कहले कि इ असर बा कि लोक कला के प्रतिको आ ओकर संदेसन के बहुत सतर्क निकाह से देखल आ व्याख्यित कइल जाला। चित्रकला हमनीं के अभिव्यक्ति के सबसे पुराना मध्यम हऽ। उऽ तब से बा जब भाषा के विकास ना भइल रहे। संकेत आ चित्रन के सहारे मनुष्य अपना अभिव्यक्ति आ विचारन के आदान-प्रदान करत रहे। डॉ राजीव केतन के चित्रन में जहँवा एक ओर लोक बा ओहिजा दूसरका ओर आधुनिकता के झलक देखाई देता।

विशिष्ट अभ्यागत दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो विमलेश मिश्रा कहले कि लोक शब्द दरअसल आपन सुदीर्घ यात्रा में अनेकार्थ आ खाली बहुआयामी ना परिवर्तनशीलो हो गइल बा। लोक स्वरूपो निरंतर बदले वाला रहल बा। एहिसे एकर प्रयोग सीमित आ व्यापक दुनु अर्थन में हो रहल बा।

लोग जीवन, लोक कला, लोक संगीत, लोकगाथा, लोककथा आ लोक संस्कृति आदि में लोक के प्रयोग तऽ खूब होता। आज के समय में अधिक प्रयोग कइला से से वह घिस गइल बा आ ओकर मुल्लमो उतर गइल बा।

मुख्य अतिथि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पूनम टंडन कहली की इहाँ लागल चित्रन आ तस्वीरन के देखे से बुझाता की डा राजीव केतन के लोक कला से गहरा लगाव रहे। पुरवाई कला आपन लोक संस्कृति के आम जन तक पहुंचावे के जो जिम्मा उठवले बा ओकरा खातिर पूरा टीम के साधुवाद।

एकरा पहिले भोरे 11:00 बजे से डॉ राजीव केतन की चतुर्थ पुण्य स्मृति में उनका के भावांजलि दिहल गइल ओकरा बाद शहर के साहित्यकार, रंगकर्मी, चिकित्सा, संस्कृतिकर्मी एवं प्रेस क्लब अध्यक्ष मार्कंडेय मणि त्रिपाठी, अशोक चौधरी, सुजीत पांडे सहित पत्रकारिता जगत से जुड़ल लोग डॉ राजीव के चित्र पs पुष्प चढ़ा के उनका से जुड़ल यादन आ अनुभव के साझा करत घरी आपन संवेदना प्रकट कइलें।

सबसे पहले संस्था के महामंत्री प्रेमनाथ अतिथियन के परिचय करवलें। ओकरा बाद अतिथियन के संस्था के ओर से अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह आ गुल्दास्ता देके सम्मानित कइल गइल।

एकरा पहिले सब अतिथि डा केतन द्वारा बनावल गइल चित्रन के कला प्रदर्शनी के अवलोकन कइले आ कैटलाग के विमोचन कइलें।

संगोष्ठी के विषय प्रवर्तन संस्था के अध्यक्ष ममता केतन कइली, आभार ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक हृदया त्रिपाठी आ संचालन डॉ चेतना पांडे कइली। एह अवसर पs डॉ हर्षवर्धन राय, शबनम श्रीवास्तव, डॉ विनोद, विनय, अनुपम, मीरा श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव, प्रदीप सुविज्ञ विष्णु देव,अंकिता, अशोक महर्षि, विनीता, महेश वलानी, डॉ सुरहिता करीम, डा विजाहत करीम, शिवेंद्र पांडे, हरिप्रसाद सिंह, प्रो रमेश चंद्र श्रीवास्तव, प्रवीण, राजेश, आदि उपस्थित रहलें।

 

 पुरवाई सम्मान से नवाजल गइलें डा. राम शब्द आ पूजा 

पुरवाई कला गोरखपुर के ओर से हर बरिस दिहल जाए वाला वरिष्ठ आ युवा कलाकारन के रूप में देवी जैन महाविद्यालय सहारनपुर के ललित कला विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ राम शब्द सिंह के आ प्राथमिक विद्यालय कुशीनगर में कार्यरत पूजा सिंह के युवा कलाकार के रूप में स्मृति प्रदान कऽ के सम्मानित कइल गइल। इ सम्मान उनका के अतिथि प्रदान कइली। एही क्रम में शहर के दु गो वरिष्ठ फोटोग्राफर अमीरुद्दीन अहमद आ मुकेश पांडेय के स्मृति चिन्ह देके सम्मानित कइल गइल।

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