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विष्णु प्रभाकर स्मृति राष्ट्रीय प्रोत्साहन सम्मान 2024 से सम्मानित भइले गोरखपुर के लाल संजय शेफर्ड

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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जनमल, पढ़ाई-लिखाई ओहिजा भइल आ अबले दुनिया के चौबीस गो देशन के यात्रा कs चुकल एह बहुमुखी प्रतिभा के धनी संजय शेफर्ड के एगो मशहूर युवा साहित्यकार आ यायावर रूप में गिनल जाला। विभिन्न राष्ट्रीय आ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानन में सेवा दे चुकल संजय शेफर्ड कृत्रिम आ दिखावटी दुनिया से बहुते दूर बाड़न आ फिल्म आ धारावाहिक के निर्माण, अध्ययन आ शोध का साथे साहित्य सृजन, खास कर के कविता लेखन में सक्रिय बाड़न । उनकर दू गो कविता संग्रह आ एगो उपन्यास प्रकाशित हो चुकल बा। युवा लोग के उनकर कविता बहुत पसंद बा।

लेखन आ यायावर में जुनुन से जुड़ल संजय शेफर्ड के आवारा मसीहा जइसन बेजोड़ काम के 50 साल पूरा भइला पर एकर लेखक विष्णु प्रभाकर के जनमदिन पर गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा, नई दिल्ली आ विष्णु प्रभाकर के ओर से आयोजित संनिधि संगीत के ओर से प्रतिष्ठान, नोएडा के विष्णु प्रभाकर स्मृति प्रोत्साहन राष्ट्रीय सम्मान 2024 दिहल गइल । खबर भोजपुरी टीम संजय शेफर्ड जी के उज्ज्वल आ समृद्ध भविष्य के कामना करत बानी सs।

के रहन विष्णु विष्णु प्रभाकर ?

विष्णु प्रभाकर के जनम 21 जून 1912 के उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के मीरापुर कस्बा में भइल रहे। 12 साल के कोमल उमिर से वयस्कता तक हिसार (हरियाना) में रहत रहले। उहे पढ़ाई-लिखाई मिलल आ फेर सरकारी नौकरी में काम करत घरी स्वतंत्रता आंदोलन के गतिविधियन में भाग लेत रहले जवना के चलते उनका के गिरफ्तार कर लिहल गइल आ पंजाब छोड़े के आदेश के चलते ऊ नौकरी छोड़ के 1944 में दिल्ली आ गइलन।

1931 में लाहौर के हिंदी मिलाप में पहिला कहानी ‘दीपावली के दिन’ प्रकाशित भइल। 1934 से नियमित लेखन, जवन अप्रैल 2009 में उनकर निधन से कुछ महीना पहिले तक चलल। डेढ़ साल के छोड़ के ऊ अखिल भारतीय रेडियो आ आयुर्वेद महामंडल में नाटक निर्देशक के रूप में काम कइले आ जीवन भर फ्रीलांस लेखन कइले।

लगभग 300 गो कहानी, 8 गो उपन्यास, 3 गो लघुकथा संग्रह, 14 गो नाटक, 17 गो एक-अंक संग्रह, 3 गो रूपांतरण, 1 गो रूपक संग्रह, 23 गो जीवनी आ संस्मरण, 5 गो यात्रा-वृत्तांत संग्रह, 8 गो बिचार निबंध संग्रह, 13 गो बाल एक-अंक लिखले बाड़ें नाटक, 4 बाल नाटक, 3 गो बाल जीवनी, 17 गो बाल कथा संग्रह, 1 गो कविता संग्रह आ 19 गो विभिन्न विषय पर किताब के रचना कइले बानी। 64 से अधिका किताब आ पुस्तिका के संपादन कइलें। एह विशाल साहित्यिक कोर्पस से कवनो अइसन रचना के चयन कइल निश्चित रूप से मुश्किल होखी जवना के विष्णु प्रभाकर के प्रतिनिधि कृति कहल जा सके । तबो एकर श्रेय शरतवंद के जीवनी “आवारा मसीहा” के दिहल जाई। “आवारा मसीहा” समेत कई गो रचना के अनुवाद भारतीय आ विदेशी भाषा में प्रकाशित भइल।

मंचित नाटक समेत कई गो रचना के प्रसारण अखिल भारतीय रेडियो आ दूरदर्शन पर भइल । गांधीवादी मूल्यन के समर्थक विष्णु प्रभाकर 20 से अधिका साहित्यिक आ सामाजिक संगठनन से सक्रिय रूप से जुड़ल रहले। देश के भीतर आ विदेश के कई गो यात्रा कइनी। सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार, साहित्य के डॉक्टर (वर्तमान), साहित्य अकादमी फेलोशिप, पद्मभूषण सहित 50 से अधिक राज्य, राष्ट्रीय आ अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित भइनी

उनकर कहानी के अनुसार – “हमरा विचार से जीवन के एगो उद्देश्य हाेखेला ,खोजल , लगातार खोजल । संगे – संगे दोसरा खातिर नीमन काम कइल । जदी सब दोसरा के भलाई के ध्यान में राखत काम करे लागे तs केहू से केहू के लडाई झगड़ा ना होई, आ समाज में भी प्रगति होई” ।इहे धर्म के व्यावहारिकता हs। कट्टरता के हम विरोधी हइं।

राष्ट्रीय सम्मान पा के का कहले संजय शेफर्ड-

साँचहू कुछ दिन बहुते सुन्दर होला। हमरा खातिर आज के दिन ना खाली एगो सुन्दर दिन बा बलुक एगो गर्व के दिन भी बा। सबेरे जब ईमेल खोलनी तs हमरा खुशी भइल। सोझा आइल कि हमरा के साल 2024 के ‘विष्णु प्रभाकर स्मृति सम्मान’ खातिर चुनल गइल बा।

ई जान के जतना खुशी भइल, ओतने अचंभा बाकी बहूते खुशी भइल।

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