प्रयागराज में गंगा के पानी पीने आ आचमन जोग नइखे , एनजीटी के केंद्र आ राज्य सरकार के नोटिस
उत्तर प्रदेश सरकार महाकुंभ के दिव्य, भव्य आ भव्य रूप देवे के प्रयास में लगातार लागल बिया। एकरा तहत शहर के प्रमुख मंदिरन के अलौकिक रूप देवे खातिर एगो नया प्रयोग के रूप में मुखौटा रोशनी के काम कइल जा रहल बा। एह में कुंभ मेला इलाका के भीतर आ बाहर के प्रमुख प्राचीन मंदिरन के कवर कइल गइल बा। हालांकि अब एनजीटी के रिपोर्ट परेशान कऽ देले बा।
संगम नगर में अब गंगा के पानी पीये लायक नइखे रहि गइल। एह आशय पs राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के रिपोर्ट देखला के बाद टिप्पणी कइले बाड़े।
एनजीटी एह मामला में अगिला सुनवाई 23 सितंबर के करी। केंद्र आ राज्य सरकार के नोटिस जारी कइले बिया। ई आदेश तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दिहल गइल बा जवना में अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) न्यायाधीश अरुण कुमार त्यागी आ सदस्य (विशेषज्ञ) ए.सेंथिल वेल रहलें।
एनजीटी के भेजल संयुक्त समिति के रिपोर्ट में कहल गइल बा कि दुनो नदी में 76 नाली गिरेला। एह में से 37 नाली के जल निगम द्वारा टैप कइल जा रहल बा आ 10 गो अलग-अलग एसटीपी के माध्यम से शुद्धिकरण के बाद गंगा आ यमुना नदी में छोड़ल जा रहल बा। बाकी 39 गो अनछुआ नाली से निकले वाला बहाव के नगर निगम बायोरिमेडिएशन विधि से ट्रीटमेंट क के गंगा आ यमुना नदी में छोड़ल जा रहल बा।
रिपोर्ट के मोताबिक, महाकुंभ 2025 के देखत बिना इस्तेमाल भइल नाली के टैप करे खातिर जल निगम राजापुर में 90 एमएलडी, नैनी-1 में 50 एमएलडी आ सलोरी में 43 एमएलडी के क्षमता वाला तीन अलग-अलग एसटीपी बनावे के प्रस्ताव रखले बाड़े। 18 जुलाई के होखे वाला सुनवाई खातिर ईमेल नोटिस जारी कर दिहल गइल बा।