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हिंडाल्को के लोकप्रिय मजदूर नेता रामदेव सिंह ना रहनीं 

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हिंडाल्को के लोकप्रिय मजदूर नेता रामदेव सिंह ना रहनीं 

सीवान: रघुनाथपुर प्रखण्ड के कौसड़ गांव के रहनिहार आ  हिंडाल्को, रेनूकूट के लोकप्रिय मजदूर नेता रामदेव सिंह ना रहनीं। 14 अप्रिल 2022 के 87 बरिस के उमिर में उहाँ के निधन हो गइल आ 15 अप्रिल के रिहंद बाँध के श्मशान घाट पs भारी भीड़ के बीचे उहाँ के अंतिम संस्कार कइल गइल। बड़ बेटा उमेश सिंह मुखाग्नि देले। एकरा पहिले तुर्रा , पिपरी इस्थित उहाँ के घर से शव यात्रा निकालल गइल। ‘मजदूरन के मसीहा’ कहल जाये आला रामदेव बाबू के इयाद में 28 अप्रिल 2022 के मूर्ति अनावरण, श्रद्धांजलि सभा आ ब्रम्हभोज के आयोजन कइल गइल बा।

रामदेव बाबू के माझिल लईका आ सुप्रसिद्ध कवि, फिल्म-समीक्षक आ टीवी पत्रकार मनोज भावुक बहुते भावुक होके बतवले कि, ‘’मरे के सभका बा आ जनम के बाद मृत्यु तक के सफरो तय करही के बा बाकिर जिनगी के एगो उत्सव बना देहल, चुनौती के अवसर बना देहल, विपत्ति के सृजन बना देहल आ अपना पूरा तेवर के संगे जिनगी जियल पुरुषार्थ हs …. आ भरल-पूरल परिवार में बेटा-बेटी, पोता-पोती सबकुछ देखके, सब जिम्मेवारियन के निम्मन से निबाह के, हँसत-खेलत, बोलत-बतियात, सुबे-साँझ टहलत, सोसाइटी के गार्ड से ओकर घर-दुआर, खेत-खलिहान के हाल-समाचार पूछत आ आपन सब काम खुद करत 87 साल के उमिर पार कs के रात के सवा आठ बजे बोल-बतियाके आँख बन कs के 15-20 मिनट में एह दुनिया के अलविदा कह देहलो सौभाग हs, कमाल के महाप्रयाण बा। बाबूजी अइसही जियनी आ अइसही गइनी। हs, अंतिम समय में मेमोरी के कुछ गड़बड़ी जरूर हो गइल रहे। बाबूजी हमरा से अक्सर पूछीं- राजनाथ सिंह से मिललs? …आ गड़करी से? आ चंद्रशेखर जी के लइकवा …का नाम हs नीरज शेखर से? सभे के बोलिह रेणुकूट, मिर्जापुर वाला रामदेव जी इयाद करत रहनीं ह s। फेर राजनीतिक जीवन के बहुत सारा घटना, बेतरतीब तरीका से… मतलब दाल में के भात में, भात में के दाल में टाइप। कहीं के कहानी कहीं जुड़ जाव। .. रेनुकूट से सटल पिपरी पुलिस स्टेशन के लगे हमनी के जवन निवास स्थान बा, कवनो जमाना में ओजा  लोहिया जी, जेपी जी, राजनारायण जी, चौधरी चरण सिंह, लालू जी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, जॉर्ज फर्नांडीज़, चंद्रशेखर जी आ राजनाथ जी आदि के आइल-गइल आ लिट्टी-मुर्गा पार्टी आम बात रहे।‘’

 

इतना कहके भावुक फफक पड़ले ‘’ हम हमेशा व्यस्त रहनी। बाबूजी के ओतना समे ना दे पवनी, बाकिर संतोष बा कि हमार माई हमेशा उहाँ के संगे रहली आ छोट भाई धर्मेन्द्र आ उनकर परिवार श्रवण कुमार के तरे उहाँ के सेवा कइलसल। अब तs एक मुठ्ठी राख हो गइनी रामदेव बाबू। अब तs खाली उहाँ के कहानी रह गइल। ऊ स्मृतिशेष हो गइनी। जवना माटी, जवना शहर में ऊहाँ के आपन खुबसुरत दुनिया रचले बानी, ओही शहर में  पंचतत्व में विलीन हो गइनी। ‘’

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव के राजनैतिक गुरु रहल रामदेव बाबू आपन ईमानदारी, खुद्दारी, बेबाकीपन, साहस आ जुझारूपन खातिर जानल जाते रहनी।

8 अक्टूबर 1935 के सिवान, बिहार के कौसड़ गाँव में जन्मल रामदेव सिंह मात्र 23-24 साल के उमिर में एशिया के सबसे बड़ एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी हिंडाल्को के पॉटरूम, फर्निश में भरती भइले आ उहाँ आग उगलती मशीनन के बीचे मजदूरन के दयनीय इस्थिति पs बिड़ला मैनेजमेंट पs उबल पड़ले आ धीरे-धीरे ट्रेड यूनियन बनाके हिंडाल्को के पाहिला मजदूर नेता बनके उभरले। एह प्रक्रिया में उनकर नौकरी चल गइल। कव बेर जेल जाये के पड़ल। जान से मारे के कोसिस भइल। रेनूकूट में मजदूर आंदोलन के लागल आग के लहक प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री तक पहुँचल। लोहिया आ जय प्रकाश नारायण जइसन नेता इनवॉल्व भइल लो। माने रामदेव बाबू के नेतृत्व में सुरु भइल एगो छोट आन्दोलन राष्ट्रीय मुद्दा बन गइल आ देस के बड़-बड़ नेता एकरा में रुचि लेवे लागल लो। कव बेर कंपनी कावर से समझौता के प्रस्ताव आइल धमकियो मिलल बाकिर रामदेव बाबू ना झुकले, ना मनेले। मुफलिसी में जियले। 14 साल कंपनी से बाहर बेरोजगार रहले बाकिर मजदूरन के उम्मीद भरोसा बनके लड़ते रहले। अंत में बिड़ला मैनेजमेंट के झुके के पड़ल आ मजदूरन के सब बात माने के पड़ल।

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