देवरिया। दुर्गा मंदिर परिसर में चल रहल नव दिन के संगीतमय श्रीराम कथा के आठवां दिन कथावाचक संतदासजी महाराज राम भरत मिलाप कथा सुनवलें। कथा के दौरान ऊ राम आ भरत के प्रेम के वर्णन करत कहलें कि भरत जब राम से मिललें तs ऊ आग्रह कइलें कि भइया रउआ अयोध्या के राज के स्वीकार करीं। हम जिनगी भर वनवास काटे के तइयार बानी। प्रभु राम भरत के आग्रह अस्वीकार कs देलें। तब भरत उनकर खड़ाऊ राज सिंहासन पs रखके राज्य संभरलें।
आज के परिवेश पs कटाक्ष करत ऊ कहलें कि जहां राम आ भरत जइसन भाई में एह कदर प्रेम रहे, ओहिजा आज के भाई एक इंच जमीन खातिर हत्या कs दे रहल बा। आगे ऊ कहलें कि आज कुछ लईकी बीस बरिस के होखतही माई-बाबूजी के प्यार के भूला के अपना मर्जी से बियाह कs के आपन जिनगी के नरक बना रहल बा लोग।
मांसाहार आ नशा पs प्रहार करत ऊ कहलें कि आज विश्व में गिद्धन के संख्या एहिसे कम हो रहल बा कि इंसान खुदे गिद्ध बन गइल बा। नशा करे वाला व्यक्ति अक्सर कीचड़ आउर नालन में मिलेला। इहे ओकर प्रवृत्ति होला। कथा के दौरान सन्तोष मद्धेशिया वैश्य आ उनकर धर्मपत्नी संतदासजी महाराज के प्रभु श्रीराम के चित्र भेंटके आसिरबाद लिहल लोग।
एह दौरान आचार्य प्रवीण पांडेय, बरहज चेयरमैन प्रतिनिधि श्याममनोहर जायसवाल, सभासद मनोज तिवारी, भरत वर्मा, मनोज तिवारी मंगल, सुनील सिंह, नरसिंह यादव, अशोक सिंह टन्नू, राजेश सिंह, रमेश सिंह दीपक, शिवानंद पांडेय, प्रभाकर, व्यास वर्मा, बलराम वर्मा, शिवम वर्मा, रामप्रवेश मद्धेशिया, दिनेश गुप्त, शौर्य कुमार सिंह, लक्ष्मण वर्मा, रंजीत मद्धेशिया, मोहनलाल वर्मा, कपूरचंद मद्धेशिया, बलराम वर्मा, सुशील सिंह, सुनील चौरसिया आ गोलू सिंह सहित सइयन गो श्रद्धालु उपस्थित रहल लोग।
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