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पुण्यतिथि विशेष: बाबा भिखारी ठाकुर

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जनम 18 दिसम्बर, 1887 के आ मृत्यु 10 जुलाई, 1971 के। जनम असथान सारन जिला के कुतुबपुर। इहाँ का पिता रामसिंगार ठाकुर आ माता शिवकली देवी के बेटा रहीं। इहाँ का ना पढ़ाई लिखाई कर पवलीं आ ना जातिगत पेशो (नाई) में मन रमल।

इहाँ का कइसहूँ टो टा के पढ़त रहीं आ कैथी में कुछ लिखे पढ़े आ गइल रहे। पारिवारिक कलह से उब के आ जादा कमाये के उदेसे ऊ बंगाल में खड़गपुर चल गइलीं, जहाँ जतरा नाटक आ रामलीला वगैरह देखे के मिलल। एह से इहाँ के कलाकार जागल। इहाँ के रामचरित मानस पढ़े सुने आ गावे लगलीं। गाँवे आ के इहाँ के नाच मंडली कायम कइलीं आ समाज में

जवन-जवन नीमन-बेजाय इहाँ के बुझाइल, ओकरे के लोकनाटक के शैली में खेले लगलीं। इहाँ के सबसे पहिला नाटक ‘बिरहा बहार’ रहे जे ‘बिदेसिया’ के रूप में प्रसिद्ध भइल। तबसे नाटक आ गीत के अठाइस पोथियन के रचना कइनी। इहाँ के नाटकन में प्रमुख बा बिदेसिया, कलियुग बहार (पियवा निसइल), गंगा असनान, बेटी बियोग (बेटी बेचवा), भाई विरोध, पुत्र-बधु, विधवा-विलाप, राधेश्याम बहार, ननद-भउजाई, गबर चिंचोर आदि। ई सब पहिले वाचिके परम्परा में रहे, बाद में 1938 से 1962 ई. के बीच में छपल। भिखारी ठाकुर के विशेषता लोकनाट्य शैली आ लौंडानाच के एगो बड़ा कैनवास प्रदान कइल बा। इहाँ के भोजपुरी साहित्य के प्रतिमान बानीं।

तबसे नाटक आ गीत के अठाइस पोथियन के रचना कइनी। उनका नाटकन में प्रमुख बा- बिदेसिया, कलियुग बहार (पियवा निसइल), गंगा असनान, बेटी बियोग (बेटी बेचवा), भाई विरोध, पुत्र-बधु, विधवा- विलाप, राधेश्याम बहार, ननद-भउजाई, गबर धिंचोर आदि।

लेख – ब्रजभूषण मिश्रा

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