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चइत नवरात्रि 2024 दिन 2 : चइत नवरात्रि के दूसरा दिन, शुभ समय में देवी ब्रह्मचारिणी के पूजा, विधि, मंत्र, प्रसाद, आरती जानि

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चइत नवरात्रि 2024 दिन 2 : चइत नवरात्रि के दूसरा दिन आज 10 अप्रैल बुधवार के बा। आज के दिन हम माँ दुर्गा के दूसरा रूप माँ ब्रह्मचारिणी के पूजा करेनी। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषी डॉ. गणेश मिश्रा से जानि देवी ब्रह्मचारिणी के पूजा के विधि, मंत्र, प्रसाद और शुभ समय के बारे में।

चैत्र नवरात्रि के दुसरका दिन आज बुध 10 अप्रैल के बा । आज के दिन चतइत मास के शुक्ल पक्ष के दूसरी तिथि विष्कम्भ आ प्रीति योग, भरानी नक्षत्र। आज के दिन हम माँ दुर्गा के दूसरा रूप माँ ब्रह्मचारिणी के पूजा करेनी। माई ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से लोग अपना काम में सफल हो जाला आ हर कठिन परिस्थिति से लड़े के क्षमता विकसित होला। माई ब्रह्मचारिणी के कृपा से ऊ व्यक्ति जप, तपस्या, त्याग, संयम आदि के प्राप्ति करेला। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषी डॉ. गणेश मिश्रा से जानि देवी ब्रह्मचारिणी के पूजा के विधि, मंत्र, प्रसाद आ शुभ समय के बारे में।

चैत्र नवरात्रि : दूसरे दिन के शुभ चोघडिया मुहूर्ता

लाभ-उन्नाटी मुहुरत : 06:01 बजे से 07:36 बजे तक अमृत-सर्वत्तम मुहुरत : 07:36 बजे से 09:12 बजे तक शुभ-उत्तम मुहुरत : 10:47 बजे से 12:22 बजे तक तकचर-समन्य मुहुरत : 03:33 सुबह शाम से 05:09 बजे तक तकलाभ-उन्नाटी मुहूर्ता : 05:09 बजे से 06:44 बजे तक

माँ ब्रह्मचारिणी के पूजा मंत्र

1. ब्रह्मचरायतुम् शीलम यस्य स ब्रह्मचारिणी।सच्चिदानंद सुशीला च विश्वरूप नमोस्तुते।

2. ॐ देवी ब्रह्मचार्य नमः

माई ब्रह्मचारिणी के पसंदीदा इलाज

दूसरा दिन पूजा के समय माँ ब्रह्मचारिणी के चीनी आ पंचमृत चढ़ावे के चाहीं।

माँ ब्रह्मचारिणी के हई?

पौराणिक कथा के अनुसार नारद जी के सुझाव प देवी पार्वती भगवान शिव के प्राप्ति खातिर हजारों साल तक जंगल में कठोर तपस्या आ ध्यान कइली। उज्जर कपड़ा पहिनले बाड़ी आ हाथ में कमंडालू आ जपत माला बा। उनकर कठोर अभ्यास के चलते उहाँ के माँ ब्रह्मचारिणी कहल जाला। इनके दूसरी नवदुर्गा कहल जाला।

माई ब्रह्मचारिणी के पूजा कइसे कइल जाला?

आज शुभ समय में पूजा स्थल पर देवी ब्रह्मचारिणी के पूजा करे। नवरात्रि पूजा के दौरान ब्रह्मचर्य के नियम के पालन करीं। सीट प बइठ के माई ब्रह्मचारिणी के ध्यान करीं। फेर अक्षत, फूल, फल, चीनी, पंचमृत, धूप, दीप, भोला आदि चढ़ाईं। अर्पित करत समय माँ ब्रह्मचारिणी के पूजा मंत्र का पाठ करी। फिर माँ ब्रह्मचारिणी के कहानी पढ़ के आरती करीं।

माँ ब्रह्मचारिणी के आरती

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।रउआ भगवान ब्रह्मा के प्रसन्न बानी। रउरा सभे के ज्ञान सिखावेनी।

ब्रह्म मंत्र तोहार जप करे के बा। जेकरा के पूरा जग जपता।वेद के जननी गायत्री के जय। रोज तोहरा बारे में जवन मन सोचेला।

कवनो कमी ना होखे के चाहीं । पीड़ा केहू के सहन ना होखे के चाहीं, हमेशा खातिर खतम होखे। तोहार महिमा के जानेला।

रुद्राक्ष माला लेके। भक्ति से मंत्र के जप आलस छोड़ के ओकर गुणगान करीं। माई, तू ओकरा के सुख दे दऽ।

ब्रह्मचारिणी, तोहार नाम। हमार सब काम पूरा कर।भक्त, अपने चरण के उपासक। लाज राखऽ, हमार पिया।

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता, जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता,

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