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जन्मदिन विशेष: अमृता प्रीतम काहे कहली कि भारत में पैदा हर व्यक्ति हिन्दू हs?

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आज मशहूर कवियित्री आ कथाकार अमृता प्रीतम के जनमदिन हs। इनकर जनम 31 अगस्त 1931 के पंजाब के गुजरानवाला टाउन, (अब पाकिस्तान) में भइल रहे। हालांकि 1947 में बंटवारा के बाद ऊ भारत आइल रहली आ मृत्युपर्यंत इहाँ रहली।

Amrita Pritam

भारत में साहित्यिक काम खातिर प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार आ पद्म विभूषण पुरस्कार मिलल। उहाँ के लिखल उपन्यास पिंजर एतना मशहूर हो गइल कि चंद्रप्रकाश द्विवेदी भी एही नाम से फिलिम बनवले।

अमृता प्रीतम एगो खुला विचार के साहित्यकार रहली आ जवन सोचत रही ऊ कहे में कवनो संकोच ना कइली । पंजाबी के मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम 1986 में ऑल इंडिया रेडियो पs प्रसारित अपना आत्मकथा में हिन्दू आ हिंदुत्व शब्द के बारे में जवन कहले बाड़ी, ऊ आज के भारतीय बौद्धिक समूह खातीर आंख खोले वाला हो सकता।

Amrita Pritam

अमृता प्रीतम अपना आत्मकथा में हिन्दू आ हिन्दुत्व शब्दन के सीधे भारत के धरती से जोड़ले बाड़ी। आज के जमाना में जदी कवनो भारतीय साहित्यकार भा कवि इहे कहे तs तथाकथित प्रगतिशील गिरोह ओकरा के तनखैया घोषित करे में एक दिन भी देरी ना करी। जदी आज के समय में अमृता प्रीतम ई बात कहले रहती तs अब तक उनका के गारी-गलौज होखत, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पs उनका के ट्रोल कs दिहल जाईत आ अब तक उनका के बौद्धिक समुदाय से बाहर घोषित कs दिहल जाता।

एकर कारण बा कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति के दौर में हिन्दू आ हिन्दुत्व के सबसे रूढ़िवादी आ अस्वीकार्य शब्द घोषित कइल जात रहे। जइसे कि धर्मनिरपेक्ष होखे खातिर ई जरूरी हो गइल होखे।

अब ई कवनो छिपल बात नइखे रहि गइल कि भारतीय बौद्धिक समाज एह शब्दन के दायरा आ ओह लोग के मूल आधार के कइसे सीमित कर दिहले बा। तथाकथित प्रगतिशील आ वामपंथी ताकतन खातिर ई दुनु शब्द ना, बलुक हिन्दू धर्म आ हिन्दू दर्शन भी रूढ़िवादी आ अज्ञानी बा। जब भी ई ताकत हर संभव मंच आ जगह पर हिंदुत्व आ हिन्दू धर्म पर हमला करेले, भा ओकरा पर सवाल उठावेले, तs ओह लोग के एके गो उद्देश्य होला, भारत के प्राचीन हिन्दू धर्म, दर्शन आ शाश्वत सोच के नीचा देखावे के ।

Amrita Pritam

बाकिर 1986 में प्रसारित अपना रेडियो आत्मकथा में अमृता प्रीतम भारत में जनमल हर आदमी के हिन्दू कहत बाड़ी। अमृता प्रीतम वीर सावरकर के पढ़ले रहली कि ना, ई पता नइखे, काहे कि ई बात एह आत्मकथा से पता नइखे चलल। बाकी ध्यान देवे वाला बात बा कि वीर सावरकर पहिला व्यक्ति हवें जे भारत में जनमल हर आदमी के हिन्दू मानत रहले।

हालांकि ओह घरी अमृता प्रीतम ऑल इंडिया रेडियो पर जवन बात कहले रहीं ऊ प्रसार भारती के अभिलेखागार में सुरक्षित बा, अमृता कहले बाड़ी कि, “इहाँ (रेडियो आत्मकथा में) हम हिन्दू शब्द के संगे-संगे सिख, मुसलमान आ ईसाई… आज के लोकप्रिय अर्थ में प्रयोग कइले बानी। बाकी सही मायने में हिन्दू कवनो धर्म के नाम ना हs।” हिन्दू भारत से निकले वाला के नाम हs।”

AMRITA pritam

भले अमृता प्रीतम अपना रेडियो आत्मकथा में सिंधु आ हिन्दू शब्दन के लोकप्रिय ऐतिहासिक व्युत्पत्ति के हवाला देले रही बाकिर आगे ऊ जवन कहत रही ऊ बहुते जरूरी रहे आ प्रीतम जी के दिहल हिंदुत्व के आगे के सफाई कम से कम आज के समय के बुद्धिजीवी लोग खातिर आँख खोले वाला बा। अमृता प्रीतम के कहनाम रहे कि, “हिन्दू शब्द कवनो धर्म भा संप्रदाय के संकेत ना देवेला। आर्यवर्त यानी भारत के सब लोग हिन्दू के नाम से जानल जाले आ इहे हम हिन्दू शब्द के असली मतलब में मानतानी…कि केहु के चाहे जवन ” धर्म होेखे, बाकी पांच तत्व के संबंध के चलते…..माटी, हवा, पानी, आग आ आकाश के संबंध के चलते ए देश के मुसलमान , हिन्दू, सिख, पारसी आ ईसाई भी हिन्दू बाड़े…जवन कि हिन्दू शब्द के मतलब होला हिंदुस्तान में जनमल ।”

Tricolour

आज के युग में सांस्कृतिक नाभि से जुड़ल तत्वन के बात करे वाला, भारतीयता के अवधारणा के हिसाब से राष्ट्र आ विचार के समझावे वाला लोग के रूढ़िवादी आ पिछड़ा ना बलुक सांप्रदायिक भी घोषित कइल जाला। एह हिसाब से आज के बुद्धिजीवी लोग के भी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष-प्रगतिशील आ राष्ट्रवादी खेमा में बाँटल गइल बा भा बाँटल गइल बा। आज जे केहू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद आ हिन्दुत्व के बात करेला ऊ सांप्रदायिक बा, कम से कम तथाकथित प्रगतिशील लोग के नजर में ।

Amrita Pritam

जब अमृता प्रीतम एह शब्दन के प्रयोग करत रहली तs ई शिविर के अस्तित्व तक ना रहे। जाहिर बा कि अमृता प्रीतम भारत के सच्चाई के प्रस्तुत करत रहली आ एक तरह से देश के माटी, हवा, पानी आ सांस्कृतिक अवधारणा के ऊ अपना आत्मकथा में प्रस्तुत कइले बाड़ी । सवाल बा कि का आज के तथाकथित प्रगतिशील बुद्धिजीवी एकरा के सही संदर्भ में समझे के कोशिश करीहे?

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