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बनारसी पान आ लंगड़ा आम के जीआई टैग मिलल: रामनगर के भंटा आ आदमचिनी चावल भी शामिल बा, बनारसी साड़ी के पहिलही टैग मिल चुकल बा

एहमें बनारसी लंगड़ा आम (जीआई रजिस्ट्रेशन नंबर - 716), रामनगर भंटा (717), बनारसी पान (730) आ आदमचिनी राइस (715) शामिल बा बनारसी पान आ बनारसी लंगड़ा आम जीआई टैग मिलला का बाद अब विश्व बाजार में उतरी |

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बनारसी पान आ लंगड़ा आम के जीआई टैग मिलल: रामनगर के भंटा आ आदमचिनी चावल भी शामिल बा, बनारसी साड़ी के पहिलही टैग मिल चुकल बा


वाराणसी के 4 उत्पाद के अबकी बेर भौगोलिक संकेत टैग (जीआई) मिलल बा। एह में विश्व प्रसिद्ध बनारसी लंगड़ा आम आ बनारसी पान के साथे-साथे रामनगर के सफेद भंटा, आ आदमचिनी राइस भी शामिल बा। अभी तक काशी क्षेत्र में कुल 22 अउरी राज्य में 45 जीआई उत्पाद के पंजीयन हो चुकल बा। पहिले एह बनारसी साड़ी के भी जीआई टैग मिलल बा।

यूपी के 11 उत्पाद के एह साल जीआई टैग मिलल बा
जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकांत कहले कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अउरी नाबार्ड लगातार यूपी के उत्पाद के अंतर्राष्ट्रीय मान्यता देवे के कोशिश में लागल बाड़े। ए साल राज्य के 11 उत्पाद के जीआई टैग मिलल बा, जवना में 7 उत्पाद भी ओडीओपी में शामिल बा अउरी कृषि अउरी बागवानी से जुड़ल 4 उत्पाद काशी क्षेत्र के बा।
एहमें बनारसी लंगड़ा आम (जीआई रजिस्ट्रेशन नंबर – 716), रामनगर भंटा (717), बनारसी पान (730) आ आदमचिनी राइस (715) शामिल बा बनारसी पान आ बनारसी लंगड़ा आम जीआई टैग मिलला का बाद अब विश्व बाजार में उतरी |

बबनारसी ठंडाई, लाल भरवा मिर्च, तिरंगी बर्फी भी लाइन में
डॉ. रजनीकांत बतवले कि बनारस अउरी पूर्वांचल के सभ जीआई उत्पाद से कुल 20 लाख लोग जुड़ल बाड़े। सालाना लगभग 25,500 करोड़ के कारोबार होला। नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) के मदद से कोरोना काल में यूपी के 20 उत्पाद खातिर जीआई आवेदन कईल गईल, जवना में लंबा कानूनी प्रक्रिया के बाद 11 जीआई टैग मिलल।

उम्मीद बा कि अगिला महीना के अंत तक बाकी 9 उत्पाद के भी जीआई टैग मिल जाई। जवना में बनारस के लाल मिरचा, तिरंगी बरफी, बनारसी ठंडई आ बनारसी रेड स्टफड मिर्च के साथे चिरईगांव के करोंडा के भी शामिल कइल जाई।

बनारसी साड़ी समेत 18 पूर्वांचल उत्पाद के जीआई टैग मिल चुकल बा
एकरा से पहिले बनारस अउरी पूर्वांचल के 18 उत्पाद के जीआई टैग मिलल बा। जवना में बनारस ब्रोकेड आ साड़ी, हस्तनिर्मित भदोही कालीन, मिर्जापुर हस्तनिर्मित दरी, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, वाराणसी गुलाबी मीनाकारी, वाराणसी वूडेन लेकरवेयर एण्ड ट्वायज, निजामाबाद ब्लैक पाटरी, बनारस ग्लास बीड्स, वाराणसी साफ्टस्टोन जाली वर्क, गाजीपुर वाल हैगिग, चुनार बलुआ पत्थर, चुनार ग्लेज पाटरी, गोरखपुर टेराकोटा क्राफ्ट, बनारस जरदोजी, बनारस हैण्ड ब्लाक प्रिन्ट, बनारस वूड काविंग, मिर्जापुर पीतल बर्तन, मउ साड़ी भी शामिल बा।

किसानन के जीआई अधिकृत उपयोगकर्ता पंजीकरण होई
बनारस लंगड़ा आम खातिर जया सिड्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड”, रामनगर भंटा खातिर “काशी विश्वनाथ फामर्स प्रोड्यूसर कंपनी, आदमचीनी चावल खातिर “ईशानी एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड” चन्दौली, आ बनारस पान (पत्ता) खातिर “नमामि गंगे फामर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड” एवं उद्यान विभाग वाराणसी ने ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन आ नाबार्ड, आ राज्य सरकार के सहयोग से आवेदन कईले रहे। जवना के बाद ए चारो उत्पाद के जीआई टैग मिल गईल।

आवे वाला 4 महीना के भीतर ए सभ 4 उत्पाद में 1000 से जादा किसान के जीआई अधिकृत उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकृत कईल जाई। ताकि उ जीआई टैग के कानूनी तौर पे इस्तेमाल क सके अउरी बाजार में नकली उत्पाद के रोक सके।

यूपी के एह 7 गो ओडीओपी प्रोडक्ट के जीआई टैग मिल चुकल बा
अलीगढ़ ताला, हाथरस हिंग, मुज्जफरनगर गुड़, नगीना वुड कार्टिंग, बखीरा ब्रासवेयर, बांदा शजर पत्थर क्राफ्ट, प्रतापगढ़ ऑवला समेत 7 ओडीओपी उत्पाद के भी 31 मार्च 2023 के जीआई टैग मिलल बा।

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