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“आर्य समाज के काम विवाह प्रमाणपत्र जारी कइल ना”, SC कानूनी मान्यता देवे से कइलस इनकार

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 3 जून के आइल एगो फसीला में आर्य समाज (Arya Samaj) कावर से जारी विवाह प्रमाणपत्र (Marriage Certificate) के कानूनी मान्यता देवे से इनकार कs देले बा। जस्टिस अजय रस्तोगी आ जस्टिस बी वी नागरत्ना के पीठ कहलस कि आर्य समाज के काम विवाह प्रमाणपत्र जारी कइल ना हs। विवाह प्रमाणपत्र जारी करे के काम सक्षम प्राधिकरण करेला। कोर्ट के सोझा असली प्रमाणपत्र प्रस्तुत कइल जाव।

ममिला प्रेम विवाह के बतावल जा रहल बा। लईकी के घरवाला लोग नाबालिग बतावत अपना लईकी के अपहरण आ रेप के एफआईआर दर्ज करा के रखले बा। जबकि जुवक के कहनाम रहे था लड़की बालिग बिया। ऊ अपना अपनी मर्जी आ अधिकार से विवाह के फैसला कइले बा लो। आर्य समाज मंदिर में वियाह भइल बा।

जुवक मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा कावर से जारी विवाह प्रमाण पत्र के कोर्ट में पेश कइलस बाकिर सुप्रीम कोर्ट एकरा के माने से इंकार कs दिहल। एह ममिला में सुप्रीम कोर्ट अप्रेल में  मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के चुनौती देवे वाली याचिका पs सुनवाई करे के हामी भर देले रहे।

तब जस्टिस केएम जोसेफ आ जस्टिस हृषिकेश रॉय के बेंच  हाईकोर्ट के फसीला पs रोक लगा देले रहे। हाईकोर्ट आर्य प्रतिनिधि सभा से स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के धारा 5, 6, 7 आ 8 के प्रावधानन के अपना गाइड लाइन में एक महीना के भीतर शामिल करे के कहले रहे।

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