जम्मू-कश्मीर में सिख रीति रिवाज से शादी के वैधानिक मान्यता, आनंद विवाह अधिनियम भइल लागू
संसद 2012 के आनंद विवाह (संशोधन) विधेयक पारित कईलस जवना में सिख पारंपरिक बियाह के कानूनी मान्यता के दायरा में ले आवल गईल।
बियाह के रजिस्ट्रेशन के विस्तृत नियम जम्मू-कश्मीर प्रशासन के ओर से आनंद विवाह अधिनियम के तहत बना के लागू कईल गईल बा। एह नियमन में सिख रीति रिवाज के हिसाब से कइल जाए वाला बियाह के कानूनी मान्यता दिहल गइल बा। एकरा संगे हिन्दू विवाह कानून के तहत बियाह ना करे के उनुकर लंबा समय से मांग पूरा हो गईल बा। एगो सरकारी अधिसूचना के मुताबिक ‘आनंद कारज’ के रजिस्ट्रेशन खातीर ‘जम्मू-कश्मीर आनंद विवाह पंजीकरण नियम, 2023’ तैयार कईल गईल बा। एकरा तहत संबंधित तहसीलदार अपना क्षेत्राधिकार में अयीसन बियाह दर्ज करीहे।
बियाह के 3 महीना के भीतर आवेदन कs सकतानी
कानून, न्याय अवुरी संसदीय मामिला विभाग के ओर से 30 नवंबर के जारी अधिसूचना में कहल गईल बा कि, सिख जोड़ा बियाह के बाद 3 महीना के भीतर रजिस्ट्रेशन खातीर आवेदन कs सकतारे, लेकिन समय सीमा खतम होखला के बाद ओकरा बाद रजिस्ट्रेशन ना करे दिहल जाई औपचारिकता पूरा होखला के बाद विलंब शुल्क के सामना करे के पड़ी। जिला गुरद्वारा प्रबंधन समिति जम्मू के उपाध्यक्ष बलविंदर कहले कि, ‘ई बहुत दिन से लंबित मांग रहे अवुरी हमनी के वादा निभावे खाती उपराज्यपाल के आभारी बानी।’ आनंद बियाह कानून के बारे में बतावल गईल।
एह विधेयक के संसद से साल 2012 में पारित कs दिहल गइल रहे
बलविंदर कहले कि, ‘अलग सिख विवाह कानून के अधिनियम के चलते पहचान के संकट के सामना करे के पड़ता।’ साल 2012 में संसद आनंद विवाह अधिनियम 1909 में ‘ब्रिटिश इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के पारित कईलस, जवना में सिख पारंपरिक बियाह के कानूनी मान्यता के दायरा में ले आवल गईल। केंद्र सरकार ए संशोधन के मंजूरी देले बिया, लेकिन आनंद कारज के पंजीकरण खातीर प्रासंगिक नियम बनावे के काम राज्य अवुरी केंद्र शासित प्रदेश पs छोड़ दिहल गईल बा।
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