बरमूडा ट्राएंगल के रहस्य: आसमान में बइठल ऊ ‘अदृश्य राक्षस’ जवन बरमूडा ट्राएंगल से सैकड़न विमानन के निगल गइल
पहिले जब भी कवनो जहाज गुजरत रहे त ओकरा संगे कवनो ना कवनो अप्रिय घटना होखत रहे। कई बेर एह जहाजन के बचावे खातिर गइल टीम भी कबो वापस ना लवट पइल।
बरमूडा ट्राएंगल, एगो अइसन जगह जवना में अपना आप में कई गो रहस्यमयी कहानी बाड़ी सऽ। हम आ रउआ एकरा बारे में बचपन से सुनत बानी, बाकी जब भी हमनी के एकरा के जाने भा समझे के कोशिश करत रहनी जा त विज्ञान के एतना भारी अवधारणा हमेशा सामने रखल जात रहे जवना के मदद से एकरा के जाने आ समझे के बजाय हमनी के एकरा से दूरी बनावत रहनी। हमनी के हमेशा लागत रहे कि काश अइसन होखे कि केहू हमनी के साधारण भाषा में समझा सके। आईं हमनी के आज रउआ खातिर ई काम करीं सs.. आज हमनी के रउआ सभे के बरमूडा ट्राएंगल आ ओकरा से जुड़ल सब चीजन से परिचय करावत बानी, जवन आज भी बहुत लोग खातिर एगो रहस्य बा…
आखिर बरमूडा ट्राएंगल का होला?
जदी रउरा साधारण भाषा में समझल चाहत बानी त ई अटलांटिक महासागर में लगभग पांच लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र हs । जवन फ्लोरिडा के लगे से शुरू होके प्यूर्टो रिको आ बरमूडा दीप तक जाला। अइसने में ई समुन्दर के भीतर एगो काल्पनिक त्रिकोण के निर्माण करेला। हमनी के एह पूरा इलाका के बरमूडा ट्रायंगल के नाम से जानत बानी सs।
क्रिस्टोफर कोलंबस एह बारे में का कहले
जहाँ तक एह त्रिकोण के खोज के सवाल बा त एकर श्रेय क्रिस्टोफर कोलंबस के मिलेला। मानल जाला कि कोलंबस सबसे पहिले एह रास्ता से (एह त्रिकोण के रास्ता से) गुजरल रहलें। कोलंबस भी अपना किताब में एकर जिक्र कइले बाड़न। एह त्रिकोण के जिक्र करत उ कहले कि जब हम 1498 में एह रास्ता से आगे बढ़े लगनी तs मौसम में अचानक बदलाव देखाई देलस। आ समुंदर के लहर बहुत तेजी से चढ़े लागल। आगे आसमान में बिजली के झिलमिलाहट रहे आ हर जगह बेहद तेज हवा के आवाज रहे।
बरमूडा ट्रायंगल आखिर क्यों है डेविल ट्रायंगल ?
बरमूडा ट्राएंगल में आज तक एतना घटना घटल बा कि बहुत लोग एकरा के शैतानी त्रिकोण भी कहेला। ई नाँव पहिली बेर 1964 में विंसेंट गैडिगे द्वारा दिहल गइल।
उ अपना किताब में बतवले रहले कि इ त्रिकोण जहाज के कइसे निगल जाला। जे ओकरा से गुजरेला ऊ कबो वापस ना आवेला। एही से ई शैतानी त्रिकोण बा।
इहाँ से गुजरते ही अप्रिय घटना होखे लागेला।
बतावल जाता कि ए इलाका में गइला के बाद बहुत अप्रिय घटना अपने आप होखे लागेला। जइसे कि कबो कबो जहाज के इंजन अपना बलबूते काम कइल बंद कर देवेला । जहाज खुद पानी के नीचे डूबे लागेला, जदी केहू के पानी में तैरे के बा त ओकरा तैरे में दिक्कत के सामना करे के पड़ेला। जदी इहाँ भइल सबसे बड़ घटना के बात करीं जा तs अगस्त 1942 में अमेरिकी नौसेना के जहाज एह बरमूडा त्रिकोण से लवटत रहे, तब अचके रेडियो स्टेशन से संपर्क खतम हो जाला। आ ओह लोग के नेविगेशन सिस्टम फेल हो जाला । जब एह जहाज के खोजे खातिर बचाव दल भेजल गइल त आज ले कुछ ना मिलल ।
कहल जाला कि एह त्रिकोण के इलाका में घुसते विमानन के कम्पास आ नेविगेशन टूल भी काम कइल बंद कर देवेला।
एही तरे 1942 के दिसंबर के महीना में जब एगो अउरी अमेरिकी लड़ाकू विमान एह त्रिकोण के ऊपर से गुजरे के कोशिश कइलस तs एकरा संगे उहे भइल जइसे पहिले के विमान के संगे भइल रहे। एकर पायलट बतावेला कि ओकर नेविगेशन काम नइखे करत।
जहाज काहे गायब हो गइल?
बरमूडा त्रिकोण के एतना खतरनाक होखे के कारण आ ओकरा से गुजरे वाला जहाज के गायब होखे के कारण के पता लगावे खातिर कई गो शोध भइल बा। बाकी आज तकले कवनो शोध में ई साफ नइखे भइल कि ए त्रिकोण में घुसला के बाद अइसन का होखेला। आ आज ले एहिजा से जवन जहाज गायब भइल बा ऊ कहाँ चल गइल बा । हालाँकि, कई गो अलग-अलग वैज्ञानिक लोग एह त्रिकोण के संबंध में अलग-अलग तर्क देले। कई गो वैज्ञानिक लोग के मानना बा कि जहाज के साथे होखे वाला अप्रिय घटना इहाँ के मौसम में अचानक बदलाव के चलते होला।
पहिले एकरा चलते अउरी घटना घटल?
कुछ लोग के कहनाम बा कि बरमूडा त्रिकोण में होखेवाला घटना के संख्या पहिले के मुक़ाबले बहुत कम हो गइल बा। एकर एगो कारण बा एडवांस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल। तकनीक के इस्तेमाल से आज अइसन रडार आ सोनार के बिकास भइल बा जे जहाज सब के सफर के दौरान पानी के नीचे मौजूद खतरा के बारे में पहिले से जानकारी देवेला। बाकी 50 साल पहिले ओह समय के जहाज में एह तरह के तकनीक ना रहे। अइसने में मौसम में बदलाव से लेके पानी के नीचे मौजूद बड़का पत्थर तक के खतरा के बारे में उ लोग के पता ना चल पावेला।
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