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देवशयनी एकादशी आजु, ए बेर भगवान विष्णु 4 के बजाय 5 महीना ले रहिए योग निद्रा में, जानि शुभ मुहूर्त

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देवशयनी एकादशी 2023 : गुरुवार 29 जून मतलब आजु के भगवान विष्णु क्षीर सागर में माता लक्ष्मी के संगे योग निद्रा में होईहे। हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीना के शुक्ल पक्ष के एकादशी के हरिशयनी एकादशी कहल जाला। एह एकादशी के सब एकादशी में सबसे खास मानल जाला काहे कि एह एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीना के योग निद्रा खातिर क्षीर सागर चल जाले। तब देवउठनी एकादशी तिथि यानी 23 नवम्बर के उठ जइहें। भगवान विष्णु के विश्राम के कारण चार महीना में बियाह के शुभ समय अवुरी मांगलिक कार्य खातीर शुभ समय ना होई। अबकी बेर अधिकमास के चलते भगवान विष्णु चार महीना के जगह 5 महीना आराम करीहे। एह एकादशी से चातुर्मास के शुरुआत होई। देवशयनी एकादशी व्रत के शुभ समय, पूजा विधि आ महत्व के बारे में जानि।

देवशयनी एकादशी 2023 के शुभ समय

हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक आषाढ़ महीना के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि आजु सबेरे 3.17 बजे से शुरू हो गइल बा । दूसर ओर एकादशी तिथि 30 जून के सबेरे 2.42 बजे समाप्त होई। साथही एह देवशयनी एकादशी पs सिद्ध योग बनता। ई सिद्ध योग आजु सबेरे 5.55 बजे आ 30 जून के सबेरे 3.43 बजे ले होई।

देवशयनी एकादशी 2023 के पूजा विधि

एह एकादशी के सभ 24 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण मानल जाला, अइसन स्थिति में देवशयनी एकादशी के दिन सबेरे सबेरे उठ के नहाए के चाहि। फिर व्रत के संकल्प लेत, सूर्य भगवान के जल अर्पित करत समय व्रत के संकल्प ली । एकरा बाद भगवान विष्णु के पूजा खातिर सब सामग्री इकट्ठा करीं। एकादशी के पूजा सामग्री में गंगा के पानी, पीला फूल, माला, हरदी, चंदन, सुपारी, आ इलायची ले लीं। एकरा बाद भगवान विष्णु के पूजा करत घरी उनुका के पीयर मिठाई चढ़ाईं। एकरा बाद भगवान विष्णु के आरती करीं आ लगातार मंत्र के जप करत रहीं।

भगवान विष्णु के आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

 

 

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