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गोरखपुर के दिनेश समोसा वाला, इहां समोसा से बेसी चटनी के मांग- स्वाद के दिवानन के लागे ला लाइन

गोरखपुर में धर्मशाला बाजार के दिनेश के समोसा आला के चरचा समूचा गोरखपुर में होला। दिनेश समोसा वाला के नाव से चर्चित पांच दशक पुरान एह दुकान पs समोसा से जादे मांग चटनी के होला। 

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गोरखपुर: गरम-गरम समोसा के स्वाद होखे आ खास किसिम के चटनी के मिठास होखो। ई जिकिर आवते दिमाग सीधा धर्मशाला चौराहा पहुंच जाला। अइसन होखे तs काहे ना होखे , पांच दशक से एह चौराहा के मशहूर समोसा के दुकान खानपान के शौकीन लोगन के जुबान पs राज जे कs रहल बा। संकरा अस दुकान में कद्रदान लोगन के उमडे आला भीड़ एह बात के गवाह बा कि खानपान के एह ठीहा के जलवा आजो कायम बा। आज एह दुकान पs खाली समोसा के शौकीने ना बलुक इहां के कचौड़ी आ बालूशाही के स्वादो अब लोग के जुबान पs चढ़ गइल बा।

पांच दशक से चलत बा दुकान

कबो पोले के दुकान के नाव से जानल जाए आला ई प्रतिष्ठान आज दिनेश समोसा के नाव से लोग के बीचे पहचान बना चुकल बा। प्रतिष्ठान के संचालन करे आला दिनेश गुप्ता बतवले कि पांच दशक तक उनका दुकान के समोसा के साख बनल रहे के वजह गुणवत्ता से समझौता ना कइल हs। बिना लहसुन-पियाज के उनकर समोसा लोग के तबो भावत रहे आ अबो भावेला। आम के कली से बनल रोस्टेड मीठी चटनी उनका समोसा के स्वाद के दुगुना कs देवेला।

इहां के चटनी के होला चरचा

बहुत लोग तs चटनी के दीवानगी में दुकान कावर खिंचल चल जाला। बिना लहसुन-पियाज के समोसा बनावे वजह के सवाल पs दिनेश बतवले कि शुरुआती दौर में उनकर ज्यादातर ग्राहक मारवाड़ी समाज से रहे लो। ओहि लो के डिमांड पs ऊ बिना लहसुन-पियाज के बनल समोसा बनावल शुरू कइले। स्वाद पs कवनो फरक ना पड़ल तs सिलसिला चल पड़ल, जवन आजो कायम बा।

अइसे बढ़त गइल बेयपार

दिनेश बतवले कि दुकान के शुरुआत चाय-लस्सी से भइल, जवन उनकर बाबूजी गोमती प्रसाद बनावस। दुकान के कमान जब ऊ संभरले तs कारोबार बढ़ावे के क्रम में समोसा आ बालूशाही बनावल सुरु कइले। लोग के नया उत्पाद पसंद आइल, एसे ओहि पs फोकस हो गइल आ दुकान के पहचान चाय-लस्सी के जगे समोसा से होखे लागल। छोट भाई के नाव पोले रहे, एहिसे पहिले प्रतिष्ठान लोग पोले के दुकान के नाव से पहचानत रहे।

भाई के 2015 में निधन हो गइल तs दुकान के नाव हमार नाव माने दिनेश समोसा हो गइल। दिनेश के मोताबिक ग्राहकन के मानक पs खरा उतरला के प्रतिबद्धता खानपान में आइल बड़ बदलाव के बावजूद बेवसायिक प्रतिस्पर्धा मेें बनवले रखले बा।

साभार: दैनिक जागरण

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