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Patan Devi temple: एह मंद‍िर के वजह से मिलल बा पटना शहर के एकर नाव

जानी ऐतिहासिक अउर पौराणिक मान्यता, बिहार के राजधानी पटना में पाटन देवी मंदिर के इतिहास बहुते रोचक बा। कहल जाला ई मंदिर शहर के रक्षा करत बा, एहलिए मंदिर के रक्षिका भगवती पटनेश्वरी के नाव से भी जानल जाला।

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बिहार के राजधानी पटना में बसल बा पाटन देवी मंदिर जौन 51 शक्तिपीठ में शुमार होला। का आपके ई पता बा कि कई अइसन शहर बा जेकर नाव ऐतिहासिक अउर पौराणिक मंदिर के नाव पर पड़ल बा। ठीक एहीतरे बिहार के राजधानी पटना में एगो पौराणिक अउर ऐतिहासिक मंदिर बसल बा जेकरे नाव पर बिहार के राजधानी के नाव रखल गइल ।

कई इतिहासकार ई बतावेने बा कि पटना के पहिले मगध के नाव से जानल जात रहल। लेकिन 1912 में एकर नाव मगध से बदलकर पटना रख देहल गइल रहल।  एकर प्राचीन नाव पाटलिपुत्र रहल। पटना में पाटन देवी मंदिर बसल बा जेके 51 शक्तिपीठ में शुमार कइल जाला। पाटन देवी के बड़की पाटन देवी मंदिर,पाटन देवी मंदिर के नाव से भी जानल जाला।

कइसे पड़ल बिहार के राजधानी पटना के नाव पटना‘?

 

कहल जाला जब साल 1912 में पटना के निर्माण राजधानी के तौर पर कइल जात रहल तब एहके नाव के लेके काफी चर्चा भइल रहल। केहू के एकर नाव समझ नाइ आवत रहल तब्बे ई तय कइल गइल कि पाटन मंदिर काफी मशहूर बा एहलिए बिहार के राजधानी के नाव एह मंदिर के नाव पर रखल जाए के चाहीं। तब से बिहार के राजधानी के नाव पटना बा। पाटन देवी मंदिर की वजह से बिहार के राजधानी के पटना नाव देहल गइल काहेंसेकी ई मंदिर पौराणिक काल से विख्यात बा जहवां दर्शन खातिर हजारों श्रद्धालु आवेने।

का बा पाटन मंदिर के कथा?

पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती के पिता दक्ष प्रजापति एगो यज्ञ करवावत रहने। ओह यज्ञ के दौरान राजा दक्ष प्रजापति अपने बेटी सती के पति यानी शिव जी के अपमान कs देहने जेकरे बाद देवी सती रिसिया गइली। देवी सती आग में कूद के आपन जीवन खतम कs लेहली।

जब महादेव के ई बात पता चलल तब ऊ बहुत रीस चढ़ल। रीसी में शिव जी सती के मृत शरीर के हाथ में लेहने अउर घमासान तांडव करे लगने। उनके तांडव से पूरा संसार हिल गइल रहल। तब्बे भगवान विष्णु आपन चक्र चलवने जेसे माता सती के मृत शरीर के 51 टुकड़ा हो गइल जौन अलग-अलग जगह पर जाकर गिरल। जहां-जहां उनके मृत शरीर के खंड गिरल उहां-उहां शक्तिपीठ के निर्माण भइल । जहां देवी सती के दाहिना जांघ गिरल रहल ऊ स्थान पटना रहल। एहलिए ई शक्तिपीठ पाटन देवी मंदिर के रुप में जानल गइल।

पाटन देवी मंदिर के बा दू स्वरूप

पाटन देवी मंदिर के दो स्वरूप बा, एगो छोटी पाटन देवी अउर दूसर बड़ी पाटन देवी। मानल जाला कि ई मंदिर पटना शहर के रक्षा करत बा, एहीलिए एके रक्षिका भगवती पटनेश्वरी के नाव से भी जानल जाला। एह मंदिर के अंदर महालक्ष्मी, महासरस्वती अउर महाकाली के मूर्ती स्थापित बा।

नवरात्र के 9 दिन होला बहुत खास

नवरात्र के दिनों में एह मंदिर की भव्यता बढ़ जाला। लोग इहां दूर-दूर से छोटी अउर बड़ी पाटन देवी के दर्शन करे खातिर आवेने। अइसन मान्यता बा कि जे भक्त इहां सच्ची श्रद्धा से आवेने अउर देवी के पूजा करेने ओनके मनोवांछित फल मिलsला । नयका शादी के जोड़ा खातिर ई मंदिर बहुत खास बा काहेंसेकी कहल जाला कि जौन भी नया जोड़ा इहां दर्शन करे खातिर आवsला उनके वैवाहिक जीवन में एक्को मुश्किल नाइ आवsला अउर उनके जीवन में निरंतर ख़ुशी के प्रवाह होला।

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