हिन्दू धर्म के कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी हर साल माघ महीना के शुक्ल पक्ष के पांचवा दिन मनावल जाला। एह साल बसंत पंचमी के तिथि दू दिन ले रहल, एही से आजुओ मनावल जा रहल बा। महाकुंभ के अंतिम आ तीसरा अमृत स्नान भी आजु मनावल जा रहल बा। करोड़ों लोग एह अमृत स्नान में भाग ले रहल बाड़े। एगो धार्मिक मान्यता बा कि अगर रउरा एह दिन महाकुंभ के अमृत में नहा के एह मंत्रन के जप करीं तs सगरी लंबित काम पूरा होखे लागी. साथ ही भगवान शिव, विष्णु सूर्य, माई गंगा आ माई सरस्वती के अपार आशीर्वाद होई।
आदमी के पहिले गंगा में स्नान करे के चाही, ओकरा बाद शिवलिंग, भगवान विष्णु अवुरी सूर्य भगवान के जल चढ़ावे के चाही। माई गंगा आ सरस्वती के भी जल देवे के चाही। एकरा बाद व्यक्ति के कुछ खास मंत्र के जाप भी करे के चाही-
शिव गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
विष्णु मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
गंगा मंत्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
सूर्य स्त्रोत
प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यंरूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।।1।।
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च।
वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च।।2।।
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं।
तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।।3।।
ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्ने:।
आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।।4।।
सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात्।
यत्रा नरो देवयन्तो युगानि वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।।5।।
सरस्वती मंत्र
सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः। महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः। महामाया ॐ महमायायै नमः
आ
सरस्वती वंदना मंत्र
या कुन्देन्दु -तुषार -हारधवला या शुभ्र वस्त्रा वृता।
या वीणावर दण्ड मण्डित करा या श्वेत पद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा॥
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