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64 years of Doordarshan: शुरू में दूरदर्शन कवन नाव से जानल जात रहे? के दिहले रहे नाव? जानी कुल सवाल के जवाब

दूरदर्शन के शुरुआत 15 सितंबर 1959 से भइल रहे। विकास आ शिक्षा से जुड़ल आधा घंटा के कार्यक्रम हफ्ता में मात्र तीन दिन प्रसारित होखत रहे।

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भारत के हर घर में पहुंचल दूरदर्शन आजु 64 साल हो गइल बा। हफ्ता में तीन दिन आधा घंटा के कार्यक्रम प्रसारित करे वाला ई संस्था आजु बिना कवनो रुकावट के चौबीस घंटा ले लगातार प्रसारण करत बा। अब एकर कई गो राष्ट्रीय आ क्षेत्रीय चैनल भी बा। दूरदर्शन के पहुँच देश आ विदेश में आजुओ सबले बेसी बा। दूर-दराज के गाँव होखे भा ऊँच पहाड़। रामायण आ महाभारत जइसन धारावाहिकन के माध्यम से टेलीविजन के जवन प्रसिद्धि मिलल ऊ ओकरा के अपना स्वर्णिम युग में ले जाला। कुल मिलाके इ कहल उचित होई कि दूरदर्शन के अब तक के सफर अद्भुत अवुरी गर्व से भरल रहल बा।

दूरदर्शन के शुरुआत 15 सितंबर 1959 से भइल रहे। विकास आ शिक्षा से जुड़ल आधा घंटा के कार्यक्रम हफ्ता में मात्र तीन दिन प्रसारित होखत रहे। तब एकर नाम पहिले टेलीविजन इंडिया रहे। ओह घरी दिल्ली में महज 18 गो टीवी सेट लगावल गइल रहे। स्वाभाविक बा कि एकर दायरा बहुते सीमित रहे।

दूरदर्शन कब से शुरू भइल?

एह प्रसारण के आम जनता तक पहुंचावे के प्रयास साल 1965 में भईल रहे जब दिल्ली में पहिला बेर प्रसारण शुरू भईल रहे। पहिले ब्लैक एंड व्हाइट टीवी सेट रहे। ओह घरी ई बड़का लोग खातिर रहे। आम आदमी एकरा के जिज्ञासा से जरूर देखित लेकिन अपना घर में टीवी सेट लगावे के बात ना सोची। जइसे-जइसे विकास के ई सफर आगे बढ़ल, इंडिया टेलीविजन दिल्ली से आगे बढ़ल आ ओकर पहिला पड़ाव मुंबई रहे। साल 1972 के रहे फिर एक साल 1975 में चेन्नई आ कोलकाता भी पहुंच गईल। दूरदर्शन निश्चित रूप से देश के चारो मेट्रो में प्रसारण शुरू क दिहलस, लेकिन टीवी सेट भी सीमित रहे अवुरी प्रसारण के आपन सीमा रहे।

साल 1975 में टेलीविजन इंडिया के नाम बदल के अब दूरदर्शन हो गइल। ओह घरी टेलीविजन सेट आ दूरदर्शन एक दोसरा के पर्यायवाची रहे। कुछ साल ले अइसहीं चलल आ फेर साल 1980 में एकरा के देश के शहरन में ले जाए के कोशिश शुरू भइल। साल 1982 में एशियाई खेल दिल्ली में होखे वाला रहे। इ उहे समय रहे जब दूरदर्शन के विस्तार देश के दोसरा हिस्सा में भईल अवुरी तकनीक के अयीसन उन्नति भईल कि टीवी सेट रंगीन में आवे लागल। ई एक बेर फेरु से जिज्ञासा के बात हो गइल।

एशियाई गेम के रिकार्डिंग आ देखावे के बाद 7 जुलाई 1984 के धारावाहिक हम लोग के शुरुआत भइल जेवना से ई हर घर में लोकप्रिय हो गइल।ओह घरी देश के हर कोना में भारी संख्या में ट्रांसमीटर लगावल जात रहे। हम लोग के कहानी मध्यम वर्गीय परिवार के रहे। लोग एकरा से संबंध जोड़ सकत रहे। इ उहे समय रहे जब छोट शहर के संगे बड़ शहर में टीवी सेट के दोकान खुले लागल। कृषी दर्शन दूरदर्शन के सबसे लंबा कार्यक्रम रहल बा। भारत पाकिस्तान के बंटवारा के केंद्र में रख के बनल धारावाहिक बुनियाद सही काम पूरा क लेले बा। एहमें आलोक नाथ, अनीता कंवर, विनोद नागपाल आ दिव्या सेठ जइसन कलाकार हर घर में चहुँप गइल रहले। लोग के दिल में उनका खातिर जगह रहे।

रामायण के महत्वपूर्ण भूमिका

एकरा बाद साल 1986 आइल जब रामानंद सागर के लिखल रामायण दूरदर्शन पs चले लागल।अतवार के दिने एह कार्यक्रम के समय देश भर के सड़कन पs सन्नाटा पसरल रहे। वरिष्ठ लोग के घर में एक दू गो टीवी सेट लगावल जात रहे। अयीसना में अतवार के दिन अक्सर टीवी सेट वाला घर में मोहल्ला के लोग के रामायण देखावे के इंतजाम होखत रहे। लोकप्रियता के सगरी रिकार्ड तूड़ दिहलस। हालत अइसन रहे कि अगर केहू के आपन कलाकार कहीं मिलित त ऊ आदमी दंडवत के मुद्रा में रहित।

रामायण के टेलीकास्ट के दौरान लोग यात्रा ना करे। बाचल काम महाभारत पूरा कs दिहल। रामायण-महाभारत से पहिले भी टीवी सेट कम घर में रहला पर भी इनकर कई गो कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय रहे। फिल्मी गीत कार्यक्रम आ चित्रहार, भारत एक खोज, व्योमकेश बक्शी, मालगुड़ी डेज, विक्रम वैताल, फौजी, तमस, अलिफ लैला जइसन कई गो धारावाहिक पहिले घर-घर में चर्चा के विषय रहे। बाकिर टीवी सेट बिक्री में रामायण के रिकार्ड के श्रेय केहू दोसरा के खाता में नइखे। तीन साल पहिले जब कोरोना लॉकडाउन लागल रहे त फेर से रामायण-महाभारत देखावल गइल आ ओह घरी भी ई धारावाहिक दर्शकन के हिसाब से आपन सब रिकार्ड तूड़ दिहलस।

दूरदर्शन के कतना चैनल बा?

आज दूरदर्शन के कई गो चैनल 24 घंटा अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम के संगे उपलब्ध बा। क्षेत्रीय भाषा के चैनलन पs भी 24 घंटा प्रसारण हो रहल बा।

पांच मिनट के न्यूज बुलेटिन साल 1965 से शुरू भइल रहे।आजु दूरदर्शन के करीब दू दर्जन चैनल बा। इ देश के सबसे बड़ प्रसारण प्लेटफॉर्म ह।24 घंटा चले वाला ई न्यूज चैनल नवंबर 2003 में शुरू भइल रहे।

 

 

 

 

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