सम्पन्न भइल भोजपुरी संगम के 152वीं ‘बइठकी’

कुमार आशू

गोरखपुर में ‘भोजपुरी संगम’ के 152 वीं ‘बइठकी’ चित्रगुप्त मंदिर सभागार, बक्शीपुर, गोरखपुर में वागीश्वरी मिश्र ‘वागीश’ के अध्यक्षता अउर धर्मेन्द्र त्रिपाठी के संचालन में दू सत्र में संपन्न भइल।

कार्यक्रम के पहिला सत्र में सेसर कलमकार के रूप में भोजपुरिया माटी के कवि पं.त्रिलोकी नाथ उपाध्याय के व्यक्तित्व अउरी कृतित्व पर चर्चा भइल।


शुरुआत करत डा. फूलचंद प्रसाद गुप्त अपने आलेख में उपाध्याय जी की कई रचना के उल्लेख करत उनके भोजपुरी लेखनी से सामाजिक विसंगतियन अउर रूढ़ियन के संगे राष्ट्रीय विषय पर लोक के ध्यान खींच के उनकरा प्रति सचेत करे वाला कवि बतवलें। इहो कहलें कि उनके समकालीन ‘हल्दी घाटी’ के कवि श्याम नारायण पाण्डेय उपाध्याय जी के भोजपुरी के स्वच्छंद कवि अउर मंच के जादूगर कहले रहनें।

चर्चा क्रम के आगे बढ़ावत डॉ.आद्या प्रसाद द्विवेदी उपाध्याय जी से जुड़ल कई संस्मरणन के उल्लेख कइलें। ऊ अपने समय के मंच के लूट लेवे वाला कवि बतवलें अउर कहलें कि उनके प्रस्तुति के चुटीला अंदाज के कंठ प्रिय गीत आजुओ लोग के मन मस्तिष्क में जीवंत बा।

 

इसी क्रम में श्रीधर मिश्र संस्थापक स्व.सत्तन‌ जी के समय में शुरू कइल गयी ‘बइठकी’ में दिवंगत अउर वरिष्ठ भोजपुरी कलमकारन के समर्पित एह सत्र के महत्व के रेखांकित करत एके गंभीर अउर अध्ययनशीलता पर आधारित बनावे पर जोर दिहलें। उपाध्याय जी के जिक्र करत कहलें कि उ अपने रचना में समसामयिकता के साथ -साथ गाँव का, समाज का अउर मुहावरा के भरपूर उल्लेख कइलें। उपाध्याय जी के ऊ श्रोता के पसंदीदा कवि बतवलें।

 

बइठकी के द्वितीय ‘कवितई’ सत्र में सरिता सिंह, यशस्वी ‘यशवंत’, सत्यम पाण्डेय ‘देव’, निखिल पाण्डेय, गोपाल दूबे, निर्मल कुमार गुप्त, भीम प्रसाद प्रजापति, अरविंद’अकेला’, अवधेश शर्मा ‘नन्द’, प्रेम नाथ मिश्र, अजय कुमार यादव, बृजेश राय, अजय राय ‘अन्जान’ आदि रचनाकार लोग अपने भोजपुरी रचना से ‘बइठकी’ समृद्ध कइलें। एनके अलावा चन्देश्वर ‘परवाना’, सुभाष चन्द्र यादव, निशा राय, सुधीर श्रीवास्तव ‘नीरज’, ओमप्रकाश पाण्डेय ‘आचार्य’, नर्वदेश्वर सिंह, श्रीधर मिश्र, फूलचंद प्रसाद गुप्त, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, अभय कुमार श्रीवास्तव, सोनू अउर अन्य साहित्य सुधी जन के उपस्थिति रहलें लोग।
आभार ज्ञापन संयोजक कुमार अभिनीत कइलें।

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