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12वीं पीढ़ी हउअन पुजारी, बांग्लादेश में हिंसा के बावजूद काली मंदिर में डटल रहलें 73 साल के शंकर लाल गोस्वामी

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बांग्लादेश में जारी संकट आ अल्पसंख्यक हिन्दू पs हमला के बीच श्री सिद्धेश्वरी काली मंदिर के पुजारी शेखर लाल गोस्वामी मंदिर से बाहर ना निकले के फैसला कइले बाड़न। 1971 के पाकिस्तानी हमला के सामना करे वाला गोस्वामी के मंदिर के रक्षा करेवाला छात्र के समर्थन मिलल बा।

बांग्लादेश फिलहाल संकट से गुजर रहल बा। राजनीतिक तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यक हिन्दू पs हमला आ मंदिर के तोड़फोड़ के खबर आइल। एही बीच ढाका के एगो प्रमुख क्षेत्र में इस्थित 5 सदी से अधिका पुरान श्री सिद्धेश्वरी काली मंदिर के पुजारी लोग आपन देश छोड़ल नइखन चाहत। बारहवीं पीढ़ी के पारिवारिक पुजारी 73 साल के शेखर लाल गोस्वामी कहले कि उनका देश में हिंसा आ अल्पसंख्यक पs हमला के खबर मिलला के बावजूदो उऽ पीछे ना हटिहें। शनिचर के टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में गोस्वामी कहले कि हम एह मंदिर से ना निकलब, चाहे कुछूओ होखे। उऽ बतवले कि बांग्लादेश में एकरो से खराब हालात देखले बानी।

गोस्वामी अपना संगे भइल घटनो के याद करऽतारे, जब 1971 में पाकिस्तानी सैनिक उनका के 583 साल पुरान मंदिर से दु बेर अपहरण कऽ लेले रहले। एकरा बाद उऽ भारतीय सेना के मदद से मुक्ति युद्ध में लड़े खातिर मुक्ति वाहिनी बल में शामिल हो गइले। उऽ बतवले कि जब हमार पहिला बेर अपहरण भइल रहे तऽ हम करीब 20 साल के रहनी आ पुजारी के पोशाक में माँ काली के सोझा पाठ पढ़त रहनी। पाकिस्तानी जवान हमरा आँख पs पट्टी बांध के जीप में बइठा देले। हम फेर से लवटला के उम्मीद छोड़ देले रहनी। बाकिर उऽ हमरा के छोड़ देले।

उ आगे कहले कि, ’11 दिन बाद सिपाही हमरा के फेर से पकड़ लेले। उऽ लोग हमरा के अपना जमीन से भगावे के चाहत रहे, बाकिर तब हम माँ काली के आशीर्वाद के चलते दुनो बेर बांच गइनी। वर्तमान संकट के दौरानो गोस्वामी मंदिर से बाहर ना निकलल चाहत बाड़े। बता दीं कि ढाका के एह काली मंदिर के संरक्षण एह घरी बहुसंख्यक समुदाय के छात्रन के एगो समूह करत बा। छात्र के कहनाम बा कि मंदिर के पुजारी आ मंदिर के रक्षा के शपथ लेले बाड़े।

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