नई दिल्ली। त्रेता युग में मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के दिन भगवान श्रीराम आ माता सीता के बियाह भइल रहे। एहिसे हर साल ई तिथि के विवाह पंचमी के रूप में मनावल जाला। अबकि बेर ई परब 25 नवंबर 2025 के मनावल जा रहल बा। ई खाली एक दिन के परब ना, बलुक एह दौरान बियाह से जुड़ल कइयन गो रसम-रिवाज निभावल जाला। चलीं, जानल जाव एकरा बारे में सबकुछ।
राम जी के बारात निकालल जाला
विवाह पंचमी पs पूरा अयोध्या शहर भक्ति में डूबल रहेला। एह दिन प्रतीकात्मक रूप से वर पक्ष आ वधू पक्ष के दू गो दल बनावल जाला, जवन परंपरागत तरीका से बियाह के रीत निभावेला।
सबसे पहिले राम जी के भव्य बारात सड़कन पs निकालल जाला। एह शोभायात्रा में भक्त लोग, हाथी-घोड़ा, बैंड-बाजा सब सामिल रहेला। माहौल पूरा उत्सव आ भक्ति से भर जाला।
राम कलेवा के आयोजन
भगवान श्रीराम आ माता सीता के दिव्य बियाह पूरा होखला के बाद अयोध्या के मंदिर- मठ में राम कलेवा मनावल जाला। नवविवाहित रूप में सीताराम जी के 56 भोग अर्पित कइल जाला। अंत में माता सीता के विदाई के रस्म निभावल जाला। देस-बिदेस से लोग एह दिव्य आयोजन के हिस्सा बने अयोध्या पहुंचेला।
एह कामन से मिलेला लाभ
विवाह पंचमी के सुभ मौका पs सीताराम मंदिरन में विशेष पूजा, यज्ञ, अनुष्ठान कइल जाला। कहीं-कहीं रामचरितमानस के अखंड पाठो होखेला। मान्यता बा कि जे लोग एह दिन व्रत रखेला आ माता सीता-भगवान राम के पूजा करेला, ओकरा बियाह में आ रहल बाधा दूर हो जाला।
कुछ रोचक बात
- ई परब भगवान राम-सीता के दिव्य मिलन के प्रतीक हs।
- अयोध्या में एह दिन खास सजावट आ झांकी के बेवस्था होला।
- भक्त लोग एकरा के बहुते मंगलकारी मानेला।








