Vinod Kumar Shukla Passed Away: ना रहलें हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ला : 89 बरिस के उमिर में लेलें अंतिम सांस, एम्स में भरती रहस

Share

सेंट्रल डेस्क। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के आज मंगर के रायपुर एम्स में निधन हो गइल। 89 बरिस के उमिर में ऊ अंतिम सांस लेलें। रायपुर एम्स में उनकर इलाज चलत रहे। सांस लेला में दिक्कत के कारण उनका के वेंटिलेटर में ऑक्सीजन सपोर्ट पs रखल गइल रहे। उनकर अंतिम संस्कार काल्ह बुध के सबेरे 11 बजे मारवाड़ी मुक्तिधाम में कइल जाई।

उनकर बेटा शाश्वत शुक्ल बतवलें कि उनका सांस लेवे में समस्या होखला के कारण दु दिसंबर के रायपुर एम्स में भरती करावल गइल रहे। मंगर के सांझ 4:48 बजे ऊ अंतिम सांस लेलें। उनका कइयन अंगन में संक्रमण हो गइल रहे। विनोद कुमार शुक्ल के परिवार में उनकर पत्नी, बेटा शाश्वत आ एगो बेटी बाड़ी।

प्रसिद्ध उपन्यासकार, लेखक आ कवि विनोद कुमार शुक्ल उपन्यास आ काव्य विधा में साहित्य के सानदार सृजन कइले रहस। सन 1971 में उनकर पहिला कविता ‘लगभग जयहिंद’ शीर्षक से प्रकाशित भइल रहे। उनका मुख्य उपन्यासन में ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ , ‘नौकर की कमीज’ और ‘खिलेगा तो देखेंगे’ सामिल बा। फिल्मकार मणिकौल साल 1979 में ‘नौकर की कमीज’ नाम से आइल उनका उपन्यास पs बॉलीवुड फिलिम बनवले बाड़ें। शुक्ल के दूसरका उपन्यास ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी ‘ के साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलल बा। ऊ हिंदी साहित्य में अपना प्रयोगधर्मी लेखन खातिर प्रख्यात रहल बाड़ें। उनकर लेखनी सरल सहज आ अद्वितीय शैली खातिर जानल जाला।

पीएम नरेंद्र मोदी जतवलें दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शोक जतावत अपना एक्स हेंडल पs लिखलें कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल के निधन से बहुते दुख भइल। हिन्दी साहित्य जगत में अपना अमूल्य जोगदान खातिर ऊ हमेसा स्मरणीय रहिहें। शोक के एह घड़ी में हमार संवेदना उनका परिजनन आ प्रशंसकन के संगे बा। ओम शांति।

 

You said:

Convert in bhojpuri

 

नहीं रहे हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल: 89 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, एम्स में थे भर्ती

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का आज मंगलवार को रायपुर एम्स में निधन हो गया। 89 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। रायपुर एम्स में उनका इलाज चल रहा था। सांस लेने में दिक्कत के कारण उन्हें वेंटिलेटर में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। उनका अंतिम संस्कार कल बुधवार को सुबह 11 बजे मारवाड़ी मुक्तिधाम में किया जायेगा। उनके बेटे शाश्वत शुक्ल ने बताया कि उन्हें सांस लेने में समस्या होने के कारण दो दिसंबर को रायपुर एम्स में भर्ती कराया गया था। मंगलवार की शाम 4.48 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके कई अंगों में संक्रमण हो गया था। विनोद कुमार शुक्ल के परिवार में उनकी पत्नी, बेटा शाश्वत और एक बेटी हैं।

प्रसिद्ध उपन्यासकार, लेखक और कवि विनोद कुमार शुक्ल ने उपन्यास एवं काव्य विधाओं में साहित्य का शानदार सृजन किया था। सन 1971 में उनकी पहली कविता ‘लगभग जयहिंद’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। उनके मुख्य उपन्यासों में ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ , ‘नौकर की कमीज’ और ‘खिलेगा तो देखेंगे’ शामिल हैं। फिल्मकार मणिकौल ने साल 1979 में ‘नौकर की कमीज’ नाम से आये उनके उपन्यास पर बॉलीवुड फिल्म भी बनाई है। शुक्ल के दूसरे उपन्यास ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी ‘ को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल है। वे हिंदी साहित्य में अपने प्रयोगधर्मी लेखन के लिए प्रख्यात रहे हैं। उनकी लेखनी सरल सहज और अद्वितीय शैली के लिए जानी जाती है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए अपने एक्स हेंडल पर लिखा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल के निधन से अत्यंत दुख हुआ। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।
विज्ञापन

 

राजनांदगांव जिले में हुआ था जन्म
शुक्ल का जन्म 1 जनवरी सन 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में हुआ था। शुक्ल ने प्राध्यापन को रोजगार के रूप में चुना। वे जीवनभर साहित्य सृजन में ही लगे रहे। उन्हें हिंदी साहित्य में सादगी भरे लेखन और अनूठी कविताओं के लिये जाना जाता है। शुक्ल हिंदी साहित्य के 12वें साहित्यकार हैं।

साल 2024 में 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित
हिंदी साहित्य जगत में उनके अद्वितीय योगदान, विशिष्ट लेखन शैली और सृजनात्मकता के लिये साल 2024 में 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे छत्तीसगढ़ के पहले लेखक हैं, जिन्हें इस सम्मान से पुरस्कृत किया गया है।

भारतीय साहित्य को अंतरराष्ट्रीय जगत में दिलाई पहचान
उन्होंने अपनी विशिष्ट भाषाशैली, उत्कृष्ट सृजनात्मकता लेखन से भारतीय साहित्य को अंतरराष्ट्रीय जगत में पहचान दिलाई। वे कवि के साथ ही शीर्षस्थ साहित्यकार और कथाकार भी रहे। वे अपने उपन्यासों से दैनिक जीवन के वृतांत को काफी बारिकी से उभारा। भारतीय हिंदी साहित्य जगत में उनका विशेष योगदान है, जिसे हमेशा याद रखा जायेगा। उनका नाम हिंदी साहित्य जगत के इतिहास में सुनहरे पन्नों में दर्ज रहेगा। वे अपनी पीढ़ी के ऐसे रचनाकार हैं, जिनके लेखन ने लोगों को एक नई तरह के चेतना दी।

विनोद कुमार शुक्ल की प्रमुख कलाकृतियां-

उपन्यास:
‘नौकर की कमीज़ ‘ वर्ष 1979
‘खिलेगा तो देखेंगे ‘ वर्ष 1996
‘दीवार में एक खिड़की रहती थी ‘ वर्ष 1997
‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़ ‘ वर्ष 2011
‘यासि रासा त ‘ वर्ष 2016
‘एक चुप्पी जगह’ वर्ष 2018
कहानी संग्रह
‘पेड़ पर कमरा ‘ वर्ष 1988
‘महाविद्यालय ‘ वर्ष 1996
‘एक कहानी ‘ वर्ष 2021
‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ ‘ वर्ष 2021

काव्य संग्रह:

‘लगभग जयहिंद ‘ वर्ष 1971
‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ वर्ष 1981
‘सब कुछ होना बचा रहेगा ‘ वर्ष 1992
‘अतिरिक्त नहीं ‘ वर्ष 2000
‘कविता से लंबी कविता ‘ वर्ष 2001
‘आकाश धरती को खटखटाता है ‘ वर्ष 2006
‘पचास कविताएँ’ वर्ष 2011
‘कभी के बाद अभी ‘ वर्ष 2012
‘कवि ने कहा ‘ -चुनी हुई कविताएँ वर्ष 2012
‘प्रतिनिधि कविताएँ ‘ वर्ष 2013
कहानी/कविता पर पुस्तक
‘गोदाम’, वर्ष 2020.
‘गमले में जंगल’, वर्ष 2021

इन पुरस्कारों से सम्मानित

साल 2024 में 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार समग्र साहित्य पर प्राप्त
‘गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप ‘ (मध्य प्रदेश शासन)
‘रजा पुरस्कार ‘ (मध्यप्रदेश कला परिषद)
‘शिखर सम्मान ‘ (म.प्र. शासन)
‘राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान ‘ (मध्य प्रदेश शासन)
‘दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान’ (मोदी फाउंडेशन)
‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, (भारत सरकार)
‘हिन्दी गौरव सम्मान’ (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, उत्तर प्रदेश शासन)
‘मातृभूमि’ पुरस्कार, वर्ष 2020 (अंग्रेजी कहानी संग्रह ‘ब्लू इज लाइक ब्लू’ के लिए)
साल 2021 साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सर्वोच्च सम्मान ‘महत्तर सदस्य’ चुने गये
ChatGPT said:
भोजपुरी में रूपांतरण

नाहीं रहलें हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल: 89 बरिस के उमिर में लीहें अंतिम सांस, एम्स में रहलें भर्ती

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित छत्तीसगढ़ के नामी हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के आज मंगल के रायपुर एम्स में निधन हो गइल। 89 बरिस के उमिर में ऊ आपन अंतिम सांस लीहें। रायपुर एम्स में उनकर इलाज चल रहल रहे। सांस लेवे में दिक्कत होखला के कारण उनकर वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन सपोर्ट देहल गइल रहे। उनकर अंतिम संस्कार बुध के सुबह 11 बजे मारवाड़ी मुक्तिधाम में होई।

उनकर बेटा शाश्वत शुक्ल बतवलें कि सांस के समस्या के चलते 2 दिसंबर के रायपुर एम्स में भर्ती करावल गइल रहे। मंगल के शाम 4 बजकर 48 मिनट पर उनकर देहांत हो गइल। कई अंग में संक्रमण फैल गइल रहे। विनोद कुमार शुक्ल के परिवार में उनकर पत्नी, बेटा शाश्वत आ एगो बेटी बाड़ी।

प्रसिद्ध उपन्यासकार, लेखक आ कवि विनोद कुमार शुक्ल उपन्यास आ काव्य विधा में हिंदी साहित्य के बहुते शानदार रचना कइले रहलें। सन 1971 में उनकर पहिला कविता ‘लगभग जय हिंद’ छपल रहे। उनकर प्रमुख उपन्यासन में ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’, ‘नौकर की कमीज’ आ ‘खिलेगा तो देखेंगे’ शामिल बा।

फिल्मकार मणिकौल साल 1979 में ‘नौकर की कमीज’ उपन्यास पर आधारित बॉलीवुड फिल्म भी बनवले रहलें। शुक्ल जी के दूसरा उपन्यास ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ खातिर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलल रहे। ऊ हिंदी साहित्य में आपन प्रयोगधर्मी लेखन खातिर खूब जाने जालें। उनकर लेखनी सादगी, सहजता आ अनोखी शैली खातिर पहिचानल जाले।

पीएम नरेंद्र मोदी जतवलें शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शोक जतावत आपन एक्स हैंडल पर लिखलें कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल के निधन से बहुते दुख भइल बा। हिंदी साहित्य जगत में उनकर अमूल्य योगदान हमेशा याद रखल जाई। दुख के एह घड़ी में हमार संवेदना उनकर परिवार आ प्रशंसकन के साथ बा। ओम शांति।

राजनांदगांव जिला में भइल रहे जन्म

विनोद कुमार शुक्ल के जनम 1 जनवरी 1937 के छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला में भइल रहे। ऊ प्राध्यापन के रोजगार के रूप में अपनवले रहलें, बाकिर जिनगी भर साहित्य सृजन में जुटल रहलें। सादगी भरल लेखन आ अनूठा कविता खातिर ऊ खास तौर पs जानल जालें। ऊ हिंदी साहित्य के 12वां ज्ञानपीठ सम्मान पावे वाला साहित्यकार रहलें।

साल 2024 में मिलल 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार

हिंदी साहित्य में अद्वितीय योगदान, विशिष्ट लेखन शैली आ सृजनात्मकता खातिर साल 2024 में उनकर 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मान भइल रहे। ऊ छत्तीसगढ़ के पहिला लेखक रहलें, जिनका ई सम्मान मिलल।

भारतीय साहित्य के दियवलें अंतरराष्ट्रीय पहचान

आपन खास भाषाशैली आ उत्कृष्ट लेखन से विनोद कुमार शुक्ल भारतीय साहित्य के अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवलें। ऊ कवि होखला के संगे शीर्षस्थ कथाकार आ साहित्यकारो रहस। रोजमर्रा के जिनगी के बारीक पहलू के ऊ आपन उपन्यासन में बखूबी उभरलें। हिंदी साहित्य में उनकर जोगदान हमेसा इयाद रखल जाई आ उनकर नाम इतिहास के सुनहरा पन्ना में दर्ज रही।

विनोद कुमार शुक्ल के प्रमुख कृतियां

उपन्यास

  • ‘नौकर की कमीज़’ – 1979‘
  • खिलेगा तो देखेंगे’ – 1996
  • ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ – 1997
  • ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ – 2011
  • ‘यासि रासा त’ – 2016
  • ‘एक चुप्पी जगह’ – 2018

कहानी संग्रह

  • ‘पेड़ पर कमरा’ – 1988
  • ‘महाविद्यालय’ – 1996
  • ‘एक कहानी’ – 2021
  • ‘घोड़ा और अन्य कहानियाँ’ – 2021

काव्य संग्रह

  • ‘लगभग जय हिंद’ – 1971
  • ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ – 1981
  • ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ – 1992
  • ‘अतिरिक्त नहीं’ – 2000
  • ‘कविता से लंबी कविता’ – 2001
  • ‘आकाश धरती को खटखटाता है’ – 2006
  • ‘पचास कविताएँ’ – 2011
  • ‘कभी के बाद अभी’ – 2012
  • ‘कवि ने कहा’ (चुनी हुई कविताएँ) – 2012
  • ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ – 2013

कहानी/कविता पर पुस्तक

  • ‘गोदाम’ – 2020
  • ‘गमले में जंगल’ – 2021

प्रमुख सम्मान आ पुरस्कार

  • 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार – 2024 (समग्र साहित्य)
  • गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप
  • रजा पुरस्कार
  • शिखर सम्मान
  • राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
  • दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार
  • हिंदी गौरव सम्मान
  • ‘मातृभूमि’ पुरस्कार – 2020
  • साल 2021 में साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सर्वोच्च सम्मान ‘महत्तर सदस्य’ के रूप में चयन

Read Also: 

Share this article

Facebook
Twitter X
WhatsApp
Telegram
 
- Sponsored Ads-