भोजपुरी के सुरीला सुर मैनावती देवी ‘मैना’ के पुण्यतिथि पs गोष्ठी आयोजित कइलस यायावरी वाया भोजपुरी
‘गौरा धीरे धीरे शंकर चरन दबावे लगली’ आ कृष्ण ‘गोदनहारी बन के राधे के नगरिया गइले’ जइसन पारंपरिक गीत के रचना के साथे ओकरा के आपन आवाज देके लोगन के मंत्र मुग्ध क देवे वाली मैनावती देवी के पुण्यतिथि पs यायावरी वाया भोजपुरी द्वारा एगो साहित्यिक गोष्ठी आयोजित भइल।
एह गोष्ठी के अध्यक्षता कs रहल यायावरी वाया भोजपुरी के अध्यक्ष बृजेश्वरमणि त्रिपाठी जी उनुका जीवन पs प्रकाश डारत कहनें कि मैनावती देवी साँचहू अपना सुरीलापन में कवनो मैना से कम ना रहीं। बिहार के सिवान जिला के हसुआ गाँव मे जनमल मैनावती देवी गोरखपुर के आपन कर्मभूमि मानत रहली। एहिजे से इहा के 1980 में अर्थशास्त्र में एम ए कइले रही। गीत लेखन आ गायन के रुचि उनका में बचपन से रहे।1977 में इनकर दू गो किताब ‘गांव के गीत भाग-1’ आ ‘गांव के गीत भाग-2’ प्रकाशित भइल रहे। लोकगीतन के संग्रह ‘पपिहा सेवाती’ 2000 में प्रकाशित भइल रहे। लोकगीत अउर कविता के किताब ‘पुरखन के थाती’, ‘चोर के दाढ़ी में तिनका’ , ‘बिन घरनी घर भूत के डेरा’ आ ‘याद करे तेरी मैना’ प्रकाशित होखे वाली रहे।
यायावरी वाया भोजपुरी के परियोजनाधिकारी गौरवमणि त्रिपाठी कहनें कि मैनावती जी पारंपरिक लोकगीत के संग्रह करे के अलावा खुद संस्कार गीत आउर लोककथा के रचना भी करत रहली। स्तरीय गीतन के गायन क के इहा के भोजपुरी संस्कृति के संरक्षण में बड़ भूमिका निभवले रही।
एही अवसर पs मैनावती देवी के याद करत लोकगायिका शिवांगी पाठक आ मिनी उपाध्याय द्वारा मैनावती देवी के कुछ गीत सुनावल गइल। संगे में कवि कुमार आशू, अनुराग रंजन अउर सुधीर मिश्र उपस्थित रहनें।
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